Business Idea: वो कहते हैं ना, हर मुश्किल में छिपा होता है एक नया मौका, बस उसे पहचानने की जरूरत है, आज की इस जानकारी में हम दरभंगा के रहने वाले अर्जुन कुमार चौधरी के बारे में बात करने वाले हैं जो किसी समय मात्र 1500 रुपए की नौकरी करते थे, और आज के समय में वह अपने स्टाफ को 10 लाख रुपए की सैलरी देते हैं।
मात्र ₹1500 से इनके करियर की शुरुआत हुई थी लेकिन अब वह एक ऐसा बिजनेस करते हैं जिससे अब इनकी कंपनी का सालाना Turnover 3.5 करोड़ है। आइये अर्जुन कुमार चौधरी की सक्सेस स्टोरी के बारे में और गहराई से जाने-
सरकारी स्कूल से हुई पढ़ाई की शुरुआत
अर्जुन कुमार चौधरी दरभंगा के केवटी प्रखंड के नयागांव के रहने वाले युवक हैं। यह किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी विद्यालय से पूरी हुई है। उसके बाद इन्होंने 10वीं उच्च विद्यालय केवटी से पास की है।
इसके बाद 2010 में बीकॉम की पढ़ाई पूरी की और इसी दौरान उन्होंने कंप्यूटर कोर्स करके डाटा एंट्री का काम भी शुरू किया। नगर निगम के ऑडिट में यह CA के Under Data Entry का काम करते थे।
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1500 की सैलरी पर किया डाटा एंट्री का काम
अर्जुन कुमार चौधरी बताते हैं कि उन्होंने पहली नौकरी बिहार के मधेपुरा में की थी। उन्हें डिस्ट्रिक्ट हेल्थ सेंटर में ₹1500 महीना पर डाटा एंट्री का काम मिला था। कुल 7 महीने मधेपुरा में उन्होंने काम किया। परन्तु इसके बाद भी उनका इस सैलरी में गुजारा नहीं हो रहा था।
दूसरी नौकरी कंस्ट्रक्शन कंपनी में की
जब उन्होंने मधेपुरा से नौकरी छोड़ी तो उनकी सैलरी ₹2000 थी। ₹2000 से भी उनका काम नहीं चल रहा था तो इसलिए उन्होंने बिहार से बाहर जाकर काम करने का निश्चय किया। उसी समय उत्तर प्रदेश के अनपरा में लैंको पावर प्लांट का काम चल रहा था। वहां पर उन्होंने ₹6000 में नौकरी शुरू की। डेढ़ साल तक उन्होंने यहां पर अकाउंट सेक्शन में काम किया।
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10 हजार से अधिक सैलरी पाकर हुए खुश
इसके बाद वासरी पावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड में 10980 की नौकरी मिली। पहली बार वह 10000 से ज्यादा सैलरी पाकर बहुत खुश थे। वहां से उन्हें दिल्ली भेजा गया। जहां उन्होंने 4 महीने नौकरी की इसके बाद कंपनी ने उन्हें उत्तराखंड के काशीपुर में भेज दिया और उनका महीने का वेतन ₹15000 कर दिया। 2 साल तक उन्होंने यहां पर अकाउंटेंट के पद पर काम किया।
माँ की खराब तबीयत के कारण छोड़ी नौकरी
साल 2013 में अर्जुन को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनकी मां की अचानक तबीयत खराब हुई तो पता चला कि उनकी मां को कैंसर है और वह आखिरी स्टेज में है।
मां की तबीयत के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया। उसी समय दिसंबर 2013 में दुर्भाग्य से उनकी मां का देहांत भी हो गया। उसके बाद उन्होंने पिताजी को उत्तराखंड चलने के लिए कहा लेकिन पिताजी नहीं माने।
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मुज्जफनगर में शुरू की सेल्समैन की नौकरी
उनके पिताजी उत्तराखंड नहीं गए इसलिए उन्होंने मुजफ्फरनगर में सेल्समैन की नौकरी शुरू की थी। यहीं से ही उनके किस्मत की लकीर भी बदल गई। 3 महीने तक उन्होंने यहां जॉब की और उसके बाद मार्केट की स्थिति जानकर अपना बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया।
शुरू की खुद की एक मिक्सर कंपनी
अर्जुन ने अपना सबसे पहला बिजनेस मिक्सर नमकीन का शुरू किया। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना से ₹300000 का लोन लिया और ₹200000 खुद के जोड़े, बाकी के पैसे उधार लेकर, अप्रैल 2015 में 10 लाख की लागत से अपना बिजनेस शुरू किया।
लेकिन यह बिजनेस नहीं चल पाया। उन्होंने अपनी मां रीता चौधरी फूड्स कंपनी के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया था। दरभंगा के कैविटी में उन्होंने रुचिकर नमकीन के नाम से अपना प्रोडक्ट बाजार में लॉन्च किया। इसके लिए उन्होंने कारीगर उत्तर प्रदेश से बुलवाए थे।
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पहला Business बुरी तरह से हुआ फेल
इस बिजनेस में उनके कारीगर बीच-बीच में छोड़कर चले जाते थे। दूसरा मशीन में भी खराबी रहने लगी थी जिससे उनके व्यापार पर बहुत प्रभाव पड़ा। पांच लोगों के साथ मिलकर उन्होंने यह व्यापार शुरू किया था। उन्होंने इस प्रोडक्ट को बेचने के लिए खुद दुकान में जाकर सेल्समैन की तरह काम किया। लेकिन उनका यह व्यापार नहीं चला, जिसके कारण वह परेशान भी रहने लगे थे।
बिजनेस गुरु बनाने का लिया फैसला
पहले व्यापार में असफलता मिलने के कारण वह काफी परेशान हो गए और जिसकी वजह से उनका झुकाव अध्यात्म की तरफ भी हुआ। उन्होंने ठाकुर अनुकूल चंद्र को अपना गुरु बनाया और उनसे दीक्षा भी ली।
वहीं से उनके जीवन में सफलता शुरू हुई। अर्जुन ने बताया कि उनके गुरु ने उनको समझाया कि जिस व्यापार में दो प्रतिशत का भी फायदा ना हो उसे बंद कर देना चाहिए, नहीं तो तुम धीरे-धीरे कर्ज के बोझ में दबते चले जाओगे। इसी लिए अर्जुन ने मिक्सर कंपनी को बंद करने का फैसला लिया।
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दूसरे बिजनेस ने पलटी जीवन
अर्जुन अपने इंटरव्यू के दौरान बताते हैं कि उन्होंने बहुत दिनों तक एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ भी काम किया था। जहां उन्होंने देखा कि निर्माण की मजबूती के लिए मसाले में केमिकल मिलाया जाता है। इसी केमिकल को बनाने का निश्चय किया।
नोटबंदी के बाद 2016 में उन्होंने बैंक से 6 लाख का लोन लिया और 5 लाख की व्यवस्था करके कुल 11 लाख से केमिकल फैक्ट्री शुरू की। यह कंपनी भी MRC केमिकल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से ही Register की।
कई राज्य में खूब पसंद किया गया इनका प्रोडक्ट
अर्जुन चौधरी ने अल्ट्रा पावर टेक प्लस के नाम से बाजार में एक प्रोडक्ट लॉंच किया, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया। यहीं से उनका बिजनेस भी बढ़ने लगा। शुरुआत में उन्होंने मिथिलांचल और कोसी के इलाकों में अपने प्रोडक्ट को बेचना शुरू किया था।
धीरे-धीरे पूरे बिहार में उनके प्रोडक्ट की बिक्री होने लगी। आज कंपनी बिहार के अलावा महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, गुजरात तथा नेपाल तक प्रोडक्ट की सप्लाई कर रही है।
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MRC को बनाना चाहते हैं ब्रांड
अर्जुन ने इंटरव्यू में बताया है कि उनका सपना है कि उनकी कंपनी की गिनती बड़े ब्रांड में हो। उन्होंने बिहार के अलावा दूसरे जिलों में भी अपनी कंपनी का Manufacturing Plant शुरू किया है और वे स्थानीय लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। इसके अलावा वे और भी प्लांट खोलने पर विचार कर रहे हैं।
1 मिलियन रुपए करते हैं कर्मचारियों की सैलरी के पीछे खर्च
अर्जुन कुमार की स्टोरी पढ़ने पर आपने यह तो जान ही लिया है कि अर्जुन शुरुआती नौकरी केवल ₹1500 के लिए करते थे। वहीं आज वह 10 लाख रुपए अपने कर्मचारियों को सैलरी के तौर पर देते हैं। उनके सानिध्य में 35 कर्मचारी काम कर रहे हैं। वह अपने Employ को सैलरी के अलावा Incentive भी देते हैं ताकि उनके कर्मचारी और अधिक मेहनत करके ज्यादा पैसा कमा सके।