Business Story: बिजनेस की दुनिया में सफल होने के लिए सिर्फ एक बड़े आइडिया की जरूरत होती है। अगर मेहनत और जुनून साथ हो, तो एक छोटी सी शुरुआत भी आपको करोड़ों तक ले जा सकती है।
आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के राधेश अग्रहरी की, जिन्होंने मात्र ₹16 हजार रुपये से ऐसा बिजनेस खड़ा किया, जिसकी सफलता के चर्चे अब पूरे देश में हो रहे हैं। अपने बिजनेस के दम पर उन्होंने हर साल ₹10 करोड़ का टर्नओवर हासिल किया है और बाजार में 370 से ज्यादा Products Launch कर दिए हैं।
Business Story of an Ordinary Man
राधेश अग्रहरी ने अपनी पढ़ाई भारतीय शिल्प और डिज़ाइन संस्थान, जयपुर से की है। पढ़ाई के दौरान उन्हें एक Project मिला, जिसमें उन्हें समाज की किसी गंभीर समस्या का समाधान निकालने को कहा गया। उनके साथी प्लास्टिक वेस्ट, पेपर वेस्ट और अन्य विषयों पर काम कर रहे थे। लेकिन राधेश ने कुछ अलग सोचने का फैसला किया।
उन्होंने देखा कि नॉन-वेज वेस्ट, खासकर मुर्गी के पंख, बड़ी मात्रा में फेंके जाते हैं। दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश जैसे इलाकों में ही हर साल 30 लाख मीट्रिक टन चिकन वेस्ट निकलता है, जिसे या तो जला दिया जाता है या यूं ही फेंक दिया जाता है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।
यही समस्या राधेश के लिए एक अवसर बन गई। उन्होंने रिसर्च शुरू की और पता लगाया कि मुर्गी के पंखों से फाइबर बनाया जा सकता है, जो कपड़ा और पेपर बनाने के काम आता है।
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मुर्गी के पंख से बनाया खुद का बिजनेस
राधेश ने मुर्गी के पंखों पर Research शुरू की। कई सालों की मेहनत के बाद उन्होंने एक अनोखी तकनीक विकसित की, जिससे चिकन फाइबर को साफ कर उससे कपड़ा और पेपर बनाया जा सकता था। उन्होंने बताया कि मुर्गी के पंखों से बना कपड़ा बेहद खास होता है। यह दुनिया का छठा प्राकृतिक फाइबर है और पश्मीना से भी मुलायम और सस्ता होता है।
पश्मीना कपड़ा जहां बनाने में महीनों का समय लेता है, वहीं चिकन फाइबर से बने कपड़े को मात्र 7 दिनों में तैयार किया जा सकता है। यह कपड़ा न केवल सस्ता है, बल्कि गर्म भी होता है। यही कारण है कि यह बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
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कर चुके हैं 370 से ज्यादा प्रोडक्ट लॉन्च
राधेश अग्रहरी ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर बाजार में 370 से ज्यादा Product लॉन्च कर दिए हैं। उनके Products में कपड़ा, पेपर, और अन्य उपयोगी चीजें शामिल हैं। उनके बनाए गए Products की मांग अब राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है।
उन्होंने बताया कि उनके बिजनेस की सफलता का एक बड़ा कारण यह भी है कि उनके Products Eco-friendly हैं। वे पर्यावरण को प्रदूषित करने के बजाय वेस्ट मटेरियल को Recycle कर उपयोगी सामान बना रहे हैं।
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16000 से तय किया ₹10 करोड़ का विशाल सफर
राधेश ने इस बिजनेस की शुरुआत मात्र ₹16 हजार से की थी। उस समय न उनके पास बड़ा बजट था और न ही कोई बड़ी मशीनें। लेकिन उनकी मेहनत ने इस छोटे से आइडिया को एक बड़े बिजनेस में बदल दिया। आज उनके बिजनेस का सालाना टर्नओवर ₹10 करोड़ से भी ज्यादा है।
उनकी इस सफलता के कारण उन्हें “गोल्डन फेदर” के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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फैक्ट्री में दे रहे हैं कई महिलाओं को नौकरी
राधेश का यह बिजनेस सिर्फ उनकी सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक बदलाव का भी जरिया बना। उन्होंने राजस्थान में अपनी फैक्ट्री स्थापित की, जहां मुर्गी के पंखों को साफ करने और प्रोसेस करने का काम होता है। इस काम के लिए उन्होंने 1400 से ज्यादा आदिवासी महिलाओं को रोजगार दिया है।
इन महिलाओं को काम सिखाकर आत्मनिर्भर बनाया गया है। इससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया है और वे अपने परिवार का सहारा बन पाई हैं।