Business Idea: नौकरी छोड़कर खुराफाती काम, फटाक से बनने लगा ₹1.5 लाख महीना

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Business Idea: लॉकडाउन का दौर—जहां एक तरफ लोगों की नौकरियां जा रही थीं, सैलरी में कटौती हो रही थी और भविष्य अंधकारमय लग रहा था, वहीं दो मराठी युवाओं ने कुछ अलग करने की ठानी। उन्होंने जोखिम उठाया, सोचा कि नौकरी में जितना कमा रहे हैं, उससे कहीं बेहतर कुछ खुद का किया जाए। और फिर एक ऐसा खुराफाती बिजनेस शुरू किया जो कुछ ही महीनों में उन्हें हर महीने ₹1.5 लाख की कमाई कराने लगा।

इस कहानी की सबसे दिलचस्प बात ये है कि यह बिजनेस न तो कोई टेक स्टार्टअप था, न ही करोड़ों के निवेश से शुरू हुआ था। यह एक बेहद साधारण, मगर रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा कारोबार है लेकिन इस व्यवसाय को उन्होंने जिस अंदाज़ और सोच के साथ खड़ा किया, वही उन्हें भीड़ से अलग बनाता है। तो आइए जानते है इस बिजनेस के बारे में विस्तार से।

नौकरी छोड़ी, ‘शुद्धमय’ किया शुरू

प्रशांत और मंगेश की कहानी आम लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं। दोनों पहले अच्छी-खासी नौकरियों में थे। मंगेश एक मीडिया कंपनी में काम करते थे, जहां उन्हें करीब ₹35,000 प्रति माह वेतन मिलता था। प्रशांत की भी सैलरी लगभग इतनी ही थी। लेकिन लॉकडाउन ने उनकी सोच और जिंदगी दोनों को बदल दिया।

उस समय जब अधिकतर लोग घर बैठकर आने वाली अनिश्चितता का सामना कर रहे थे, प्रशांत और मंगेश ने एक कदम आगे बढ़ाया। उन्होंने देखा कि लॉकडाउन में सबसे बड़ी जरूरत क्या है – “घर तक शुद्ध और ताजा राशन की आपूर्ति।” यहीं से उन्हें आटे के बिजनेस का खुराफाती आइडिया आया।

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कांदिवली से निकली ‘शुद्धमय’ की कहानी

मुंबई के कांदिवली स्टेशन से सिर्फ 15 मिनट की दूरी पर स्थित एक छोटे से यूनिट से इन दोनों ने शुरुआत की। उन्होंने इस ब्रांड का नाम रखा ‘शुद्धमय’, जिसका मतलब है – पूरी तरह शुद्ध। शुरुआत में यह एक छोटा प्रयोग था, लेकिन लोगों की जरूरतों और गुणवत्ता की कद्र ने इसे बड़ा बना दिया।

अब ‘शुद्धमय’ सिर्फ गेहूं और चावल का आटा ही नहीं बनाता, बल्कि उनके पास अलग-अलग प्रकार के विशेष आटे भी हैं जैसे – घावने का आटा, कोंबडी वड़े का आटा और मल्टीग्रेन 7.4 आटा। इन सबकी डिमांड धीरे-धीरे इतनी बढ़ गई कि अब वे हर महीने करीब ₹1.5 लाख रुपये का बिजनेस कर रहे हैं।

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घर-घर डिलीवरी से बढ़ी पकड़

शुद्धमय की सबसे बड़ी खासियत है – घर-घर डिलीवरी का सिस्टम। यदि ग्राहक तीन किलोमीटर की दूरी के अंदर रहते हैं और पांच किलो से अधिक आटा ऑर्डर करते हैं, तो उन्हें डिलीवरी बिल्कुल मुफ्त दी जाती है। इससे ग्राहकों को सुविधा भी मिलती है और ब्रांड के प्रति विश्वास भी बढ़ता है।

तीन किलोमीटर से अधिक दूरी पर डिलीवरी के लिए नाममात्र शुल्क लिया जाता है, लेकिन Quality में कोई समझौता नहीं होता। ग्राहकों की संतुष्टि ही इनका सबसे बड़ा Marketing Tool बन चुकी है।

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मशीन से पिसाई, बिना मिलावट

प्रशांत बताते हैं, हमने इस Business Idea की शुरुआत से ही यह तय किया कि हमारा आटा मशीन से पिसा हुआ और बिना किसी मिलावट के होगा। ग्राहक को शुद्धता महसूस होनी चाहिए। यही ‘शुद्धमय’ का वादा है।

वे अपने आटे की Quality बनाए रखने के लिए हर बैच का सैंपल खुद चेक करते हैं। यही नहीं, वे गेहूं की खरीदी भी खुद जाकर करते हैं ताकि कच्चे माल में कोई समझौता न हो।

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सोशल मीडिया से मिली उड़ान

बिजनेस को बढ़ाने में सोशल मीडिया का भी बड़ा योगदान रहा। मंगेश कहते हैं, हमने Instagram और Whatsapp के जरिए लोगों को बताया कि हम क्या करते हैं। धीरे-धीरे ऑर्डर आने लगे और आज हम हफ्ते में सैकड़ों किलो आटा बेच रहे हैं।

आज उनके पास दर्जनों नियमित ग्राहक हैं, जो हर हफ्ते शुद्धमय से ऑर्डर करते हैं। मंगेश और प्रशांत दोनों ही खुद Order Packing से लेकर डिलीवरी तक की निगरानी करते हैं।

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₹1.5 लाख महीना और लगातार बढ़ती मांग

आज ‘शुद्धमय’ ब्रांड हर महीने करीब 1.5 लाख रुपये की आमदनी कर रहा है। मुनाफा बढ़ रहा है और ग्राहक संख्या में भी तेजी से इज़ाफा हो रहा है। वे अब अपने यूनिट को और बड़ा करने की तैयारी में हैं और आने वाले समय में महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में भी ब्रांच खोलने की योजना बना रहे हैं।

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