Business Idea: पति पत्नी का तालमेल और ₹60 हजार महीना कमाई, करते हैं यह बिजनेस

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Business Idea: बिहार के छोटे-छोटे गांवों में अब बदलाव की आहट सुनाई देने लगी है। यहां अब सिर्फ खेती-किसानी की बात नहीं होती, बल्कि लोग स्वरोजगार के ज़रिए आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

ऐसे ही एक गांव से आई है एक प्रेरणादायक कहानी, जिसमें एक पति-पत्नी की जोड़ी ने मेहनत, समझदारी और आपसी तालमेल के दम पर ऐसा काम शुरू किया कि आज हर महीने ₹60,000 की आमदनी हो रही है। और यह सब हुआ एक छोटे से फैसले से, जो बदल गया उनके जीवन की दिशा।

मुश्किल हालात से मिली प्रेरणा

भोजपुर जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले जय हिंद तिवारी और उनकी पत्नी जिज्ञासा पहले सामान्य जीवन जी रहे थे। घर के खर्च निकालना भी मुश्किल होता था।

जय हिंद के पास एक पुरानी आटा चक्की थी, जिससे वे कुछ रुपए कमा लेते थे, लेकिन वह आमदनी बहुत सीमित थी। इसी बीच परिवार में बढ़ते खर्च, बच्चों की पढ़ाई और घर के ज़रूरतों ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि कुछ अलग करना होगा।

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छोटी शुरुआत, बड़ा सपना

शुरुआत बेहद साधारण थी। जय हिंद तिवारी के पास न तो ज्यादा पैसे थेे, न ही बड़ा कारोबार करने का अनुभव। पहले वह केवल एक आटा चक्की चलाते थे, जिससे बमुश्किल घर का खर्च निकलता था।

लेकिन वह जानते थे कि अगर कुछ अलग करना है, तो सोच भी अलग रखनी होगी। तभी किसी ने सुझाव दिया कि आटे के साथ-साथ सत्तू और बेसन का भी उत्पादन किया जाए। यही से उनके सपने ने नया आकार लेना शुरू किया।

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पत्नी बनीं साझेदार

जहां अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं घर तक सीमित रह जाती हैं, वहीं जिज्ञासा ने इस सोच को तोड़ा। वह सिर्फ गृहणी नहीं रहीं, बल्कि पति की व्यवसायिक साझेदार बन गईं।

उन्होंने वर्ष 2022 में उद्योग विभाग से ₹4 लाख का लोन लिया और आटा चक्की के साथ सत्तू, बेसन और मसाला उत्पादन का कार्य शुरू किया। जिज्ञासा की मेहनत और Management की वजह से अब यह कारोबार हर महीने ढाई से तीन लाख रुपये की बिक्री करने लगा है।

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मेहनत से खड़ा किया मशीनों का जाल

जय हिंद तिवारी को सरकार की ओर से बहुत ज्यादा आर्थिक सहायता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जैसे-तैसे करके पैसे जुटाए और करीब ₹10 से ₹15 लाख तक की मशीनें लगाईं।

इसमें सत्तू और बेसन पीसने की मशीनें, मसाला Grinder और Packaging Unit शामिल हैं। इन मशीनों के चलते उनके Products की Quality और मात्रा दोनों में इजाफा हुआ।

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बिजली की बचत का सोलर समाधान

एक और खास बात यह है कि जय हिंद और जिज्ञासा ने अपने पूरे उद्योग को सोलर सिस्टम से जोड़ दिया है। उन्होंने अपने घर और फैक्ट्री की छत पर सोलर पैनल लगवाए हैं, जिससे न सिर्फ बिजली बिल में बचत होती है, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा होती है। सोलर से मिलने वाली ऊर्जा का उपयोग वे पूरे उत्पादन में करते हैं।

तैयार किया खुद का ब्रांड

जब उत्पादन बढ़ा तो जय हिंद और जिज्ञासा ने यह तय किया कि अब उनके Products को एक नाम दिया जाए। उन्होंने अपनी बेटी के नाम से Brand Register कराने की प्रक्रिया शुरू की है।

सत्तू, बेसन और मसालों को अब वे खुद की Branding के साथ बेचते हैं। उनका ध्यान पूरी तरह Quality और शुद्धता पर रहता है, जिससे ग्राहकों में उनके Products की अच्छी पहचान बन रही है।

बढ़ती मांग और बढ़ता कारोबार

आज पियनिया गांव ही नहीं, आस-पास के कई गांवों और कस्बों से उनके सत्तू, बेसन और मसालों की मांग हो रही है। जय हिंद खुद बाजारों में जाकर बिक्री करते हैं, जबकि दो कर्मचारी फैक्ट्री में काम करते हैं।

जिज्ञासा Products की Packing, Order की निगरानी और Customer Dealing देखती हैं। दोनों का तालमेल इतना मजबूत है कि अब वे इस कारोबार को और बड़े स्तर पर ले जाने की योजना बना रहे हैं।

प्रेरणा बन रही है यह जोड़ी

जय हिंद और जिज्ञासा की यह कहानी आज हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बन रही है। जहां एक तरफ बेरोजगारी की मार से लोग परेशान हैं, वहीं यह दंपती अपने घर से ही एक उदाहरण बन चुका है कि कैसे संसाधनों की कमी के बावजूद हौसले बुलंद हों तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं।

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