Startup Business Idea: भुवनेश्वर की गलियों से उठी एक मीठी सी खुशबू ने देशभर में अपनी पहचान बना ली है। ये कहानी है दो दोस्तों की, जिन्होंने मोटी तनख्वाह वाली नौकरी छोड़कर एक ऐसा काम शुरू किया, जिसे आम तौर पर कोई जोखिम भरा फैसला मान सकता था।
लेकिन इरादे मजबूत थे, सोच साफ थी और मकसद था कुछ अलग और अपनी संस्कृति से जुड़े रहने का। आज वही स्टार्टअप सालाना 45 लाख रुपये से ज्यादा का टर्नओवर कर रहा है और दर्जनों महिलाओं की जिंदगी संवार रहा है। तो आइए जानते है इस Startup Business Ideas के बारे में विस्तार से।
सब कुछ बदला एक महामारी ने
साल 2020-21 में जब पूरी दुनिया कोरोना की चपेट में थी, तब भुवनेश्वर में दो युवक — सौम्य प्रधान और अरविंद नायक — लोगों की मदद के लिए आगे आए। दोनों अपनी-अपनी नौकरियों में सफल थे। अरविंद एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी Levi Strauss में क्लस्टर मैनेजर थे और सौम्य एक FMCG कंपनी में सेल्स ऑफिसर।
महामारी के दौरान दोनों जरूरतमंदों को राशन बांटते हुए शहर में घूम रहे थे। इसी दौरान उन्हें एक बड़ी बात समझ आई — लोगों को पारंपरिक ओड़िया मिठाइयों से गहरा लगाव है, लेकिन साफ-सफाई और Quality की कमी के कारण लोग इन्हें बाजार से खरीदने में हिचकिचाते हैं।
ये भी पढ़ें: इस बाहरी चीज़ की इंडिया में भारी डिमांड, प्रतिमाह कमाई ₹2 लाख तक
शुरू किया सिंपल लेकिन दमदार स्टार्टअप
यही सोचकर दोनों दोस्तों ने एक दिन अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और पारंपरिक ओड़िया मिठाइयों पर आधारित एक स्टार्टअप की शुरुआत की। साल 2021 में उन्होंने ‘मो पिठा’ की नींव रखी।
‘मो पिठा’ का अर्थ है — “मेरा पिठा”, जो ओड़िया भाषा में अपनापन और स्वाद का प्रतीक है। पिठा ओड़िशा की पारंपरिक मिठाइयों का समूह है, जिन्हें खास मौकों पर बनाया जाता है। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में भी पिठा महाप्रसाद का हिस्सा होता है।
यह भी पढ़ें: सिंपल बिजनेस कमाई ₹1.5 लाख महीना, कभी घर चलाना था मुश्किल
दिया कई महिलाओं को शेफ की नौकरी
मो पिठा की सबसे खास बात यह है कि इस स्टार्टअप ने अपने Product को तैयार करने के लिए किसी पेशेवर शेफ को नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर गृहिणियों को रोजगार दिया।
ये महिलाएं पारंपरिक मिठाइयां बनाना जानती थीं लेकिन उनके पास रोज़गार नहीं था। सौम्य और अरबिंद ने घर-घर जाकर ऐसी महिलाओं को खोजा और उन्हें Training देकर अपने स्टार्टअप से जोड़ा।
शुरुआत केवल 8 महिला रसोइयों से हुई, जिन्होंने अरीसा, ककर, एंडुरी जैसे पारंपरिक पिठा बनाना शुरू किया। पहला आउटलेट भुवनेश्वर के साहिद नगर में खुला। शुरुआत में प्रतिदिन 3,000 से 4,000 रुपये की बिक्री होती थी, लेकिन ग्राहकों का प्यार और स्वाद की विश्वसनीयता ने बिक्री को 8,000 रुपये प्रतिदिन तक पहुंचा दिया। इसके बाद उन्होंने शहर में दो और आउटलेट खोल दिए।
ये भी पढ़ें: लेडीज के लिए घर बैठे बिजनेस आईडिया, कम पढ़ी लिखी महिलाओं के लिए
अब बना बड़ा ब्रांड, लाखों का टर्नओवर
आज ‘मो पिठा’ एक जाना-पहचाना नाम बन चुका है। इस स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर 45 लाख रुपये से ज्यादा हो गया है। अब यह 40 से अधिक महिलाओं को रोजगार दे रहा है।
इनमें से 10 महिलाएं स्थायी कर्मचारी हैं जिन्हें ₹10,000 से ₹12,000 की मासिक सैलरी मिलती है। बाकी महिलाएं ऑर्डर के आधार पर काम करती हैं और प्रतिदिन ₹500 से ₹600 तक कमा रही हैं।
ये महिलाएं रोज़ सुबह और शाम मिलकर 15 से 20 किस्म की मिठाइयां तैयार करती हैं। उनकी मेहनत और हुनर ने ‘मो पिठा’ को एक ऐसा ब्रांड बना दिया है जो अब सिर्फ ओड़िशा में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी विस्तार की ओर बढ़ रहा है।
यह भी पढ़ें: महज 8 की उम्र से बनाया प्लान, आईडिया ऐसा की ₹1 करोड़ प्रतिमाह
मिठाइयों के पीछे छिपी है कठिन मेहनत
पारंपरिक मिठाइयां बनाना जितना स्वादिष्ट दिखता है, उतना ही कठिन होता है।
- अरीसा: चावल के आटे, गुड़ और भुने हुए तिल से बनने वाली तली हुई मिठाई।
- ककर: सूजी, नारियल, किशमिश, काजू, इलायची जैसी सामग्री से तैयार किया जाता है।
- सीजा मंडा: चावल के आटे, मूंग दाल, गुड़ और काली मिर्च से बनने वाला उबला हुआ पकौड़ा।
इन मिठाइयों को हाथ से बनाने की परंपरा को सौम्य और अरबिंद ने बरकरार रखा है। वे आधुनिक मशीनों की जगह महिलाओं के हुनर और स्वाद को प्राथमिकता देते हैं।
अब बेंगलुरु में भी पिठा की मिठास
‘मो पिठा’ की सफलता को देखते हुए अब यह स्टार्टअप बेंगलुरु में भी अपने कदम रखने जा रहा है। वहां की महानगरीय जीवनशैली में पारंपरिक मिठाइयों का स्वाद एक नया अनुभव लेकर आएगा। साथ ही, यह विस्तार दर्जनों नई महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर खोलेगा।