Business Success Story: दिल्ली की चकाचौंध भरी सड़कों पर जब एक लग्जरी रेंज रोवर गुजरती है, तो बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका मालिक कभी 6,500 रुपये महीने की नौकरी करता था। ये कहानी है उस शख्स की जिसने मिडिल क्लास के दायरे को तोड़ा और खुद को करोड़ों के बिजनेस का बादशाह बना लिया।
जहां ज्यादातर लोग जिंदगीभर एक सैलरी में ही उलझे रहते हैं, वहीं इस युवक ने रिस्क लिया और इतिहास रच दिया। इस प्रेरणादायक सफर की शुरुआत होती है दिल्ली के एक साधारण परिवार से, जहां संसाधन सीमित थे लेकिन हौसले बेहिसाब।
Business Success Story
दिल्ली के पश्चिम विहार में एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे रोहित टंडन की परवरिश आम भारतीय परिवारों की तरह हुई। पिता मौसम विभाग में कर्मचारी थे, मां सरकारी स्कूल में शिक्षिका। दो बड़ी बहनों के साथ उन्होंने संघर्षों और अनुशासन के माहौल में जिंदगी की शुरुआत की।
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने Hotel Management की पढ़ाई लखनऊ के Indian Hotel Management Institute से की और 2001 में Hotel Industry में कदम रखा। आईटीसी मौर्य शेरेटन में उनकी पहली नौकरी फ्रंट ऑफिस में Assistant Manager की थी और सैलरी सिर्फ ₹6,500।
जहां ज्यादातर लोग इस वेतन से संतोष कर लेते हैं, रोहित ने इसे शुरुआत माना। मेहनत और लगन से उन्होंने खुद को साबित किया और 2008 तक लंदन के एक होटल में मैनेजर बन गए, जहां सालाना ₹32 लाख की मोटी तनख्वाह मिलती थी।
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नौकरी छोड़ बनाई अपनी राह
जिंदगी में मिली एक अच्छी तनख्वाह वाली नौकरी के बाद भी रोहित को संतुष्टि नहीं मिली। वो जानते थे कि नौकरी में रहकर वो मिडिल क्लास से ऊपर नहीं जा सकते। और यहीं से उनकी असली उड़ान शुरू हुई। 2009 में उन्होंने भारत लौटकर अपना खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया।
10 लाख रुपये के निवेश से उन्होंने एक Corporate Catering कंपनी “यम्मी टमी” की नींव रखी। यह शुरुआत थी कुछ बड़ा करने की। उन्होंने जेनपैक्ट और अमेरिकन एक्सप्रेस जैसी कंपनियों के लिए मील सर्विस शुरू की। एक छोटे से किचन से शुरू हुआ यह काम जल्द ही 6000 मील रोजाना Survey करने लगा और दो साल में ही टर्नओवर 5 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा। लेकिन रोहित की नजरें सिर्फ यहीं नहीं रुकी थीं।
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2017 में रखी फ्रेटरनिटी फूड्स की नींव
2016 में ‘यम्मी टमी’ से बाहर निकलते हुए रोहित ने करण माकन के साथ मिलकर 2017 में “फ्रेटरनिटी फूड्स” की शुरुआत की। करण खुद Engineering Background से थे, लेकिन Hotel Industry में गहरी रुचि रखते थे। दोनों की सोच एक जैसी थी—खाना सिर्फ स्वाद नहीं, अनुभव भी होना चाहिए।
इसी सोच के साथ उन्होंने पहला ब्रांड “चाइना बॉक्स” लॉन्च किया, जो एक टेकअवे चीनी व्यंजन केंद्रित फास्ट फूड आउटलेट था। यह मॉडल खासकर ऑफिस एरिया और युवा ग्राहकों के बीच खूब पसंद किया गया। 2019 तक दिल्ली-एनसीआर में इसके 15 से ज्यादा आउटलेट खुल चुके थे।
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जोका बना गेम चेंजर
रोहित और करण को जल्द ही समझ आ गया कि अगर Market में टिके रहना है तो Variety लानी होगी। 2020 में उन्होंने नया ब्रांड ‘जोका (ZOCA)’ लॉन्च किया, जो मल्टी-कुजीन कैफे कॉन्सेप्ट पर आधारित था। यहां सिर्फ फूड नहीं, लाइव म्यूजिक, स्टैंडअप कॉमेडी, थीम Events जैसे अनुभव भी मिलते थे।
जोका ने युवा ग्राहकों के बीच अपनी अलग पहचान बना ली। 2023 तक यह ब्रांड बेंगलुरु, मुंबई, जालंधर जैसे शहरों में फैल गया और इसके 130 से ज्यादा आउटलेट शुरू हो चुके थे।
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फ्रेंचाइजी से देशभर में फैला साम्राज्य
इस ब्रांड का सबसे बड़ा हथियार बना इसका फ्रेंचाइजी मॉडल। फ्रेंचाइजी फीस ₹8 से ₹15 लाख के बीच रखी गई और मासिक बिक्री पर 4% रॉयल्टी ली जाती है। आज देशभर में इसके 135 से ज्यादा आउटलेट हैं, जिनमें से 10% कंपनी खुद मैनेज करती है और बाकी फ्रेंचाइजी के तहत चलते हैं।
इतना ही नहीं, कंपनी के पास अब 20 से ज्यादा क्लाउड किचन ब्रांड भी हैं, जो देश के कोने-कोने में लोगों को फ्लेवर से भरी थाली परोस रहे हैं।
अब रेंज रोवर है, लेकिन जमीन से जुड़े हैं
कभी 6,500 रुपये की सैलरी पर काम करने वाले रोहित टंडन आज रेंज रोवर में घूमते हैं, लेकिन आज भी जमीन से जुड़े हैं। उनकी सफलता यह बताती है कि यदि इंसान में जोखिम उठाने का हौसला हो, तो वह अपनी किस्मत खुद लिख सकता है।
रोहित की Business Success Story हर उस युवा को प्रेरणा देती है जो सपने तो देखता है, लेकिन डर की वजह से कदम पीछे खींच लेता है। क्योंकि सच तो यही है—अगर रोहित नौकरी में ही टिके रहते, तो शायद आज भी मिडिल क्लास की लाइन में ही होते।