Business Idea: जयपुर की गलियों में पली-बढ़ी एक लड़की, जिसका जीवन पूरी तरह से बदल गया। उस उम्र में, जब बच्चे अपने करियर और भविष्य की योजना बना रहे होते हैं, तभी इस लड़की की शादी कर दी गई।
18 साल की उम्र में शादी, यह सुनते ही आपको लगेगा कि शायद कहानी यहीं खत्म हो गई। लेकिन नहीं, यह तो बस शुरुआत थी। यही वह कहानी है, जो दीपाली गोयनका की सफलता की अद्भुत यात्रा को बयां करती है। आज, वह न सिर्फ एक सफल बिजनेस वुमन हैं, बल्कि 32 देशों में फैले अपने कारोबार को भी संभाल रही हैं। तो आइए जानते है विस्तार से।
कम उम्र में घरवालों ने करा दिया शादी
1969 में जयपुर के एक मारवाड़ी परिवार में जन्मीं दीपाली गोयनका का जीवन शुरू से ही पारंपरिक रहा। उन्होंने महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। जैसे ही वह 18 साल की हुईं, परिवार ने उनकी शादी बालकृष्ण गोयनका से कर दी।
बालकृष्ण गोयनका, वेलस्पन ग्रुप के को-फाउंडर और चेयरमैन थे। शादी के बाद, दीपाली ने अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने परिवार और गृहस्थी को प्राथमिकता दी।
यहां तक कि समाज की यह धारणा कि एक महिला का जीवन विवाह और परिवार तक ही सीमित है, दीपाली ने इसे सच मानकर अपने सपनों को दफन कर दिया। लेकिन उनके अंदर छुपी थी एक अलग ही आग, एक सपना, जिसे वह कहीं न कहीं साकार करना चाहती थीं। दीपाली का मानना था कि एक महिला चाहे तो वह किसी भी उम्र में अपने सपनों को पूरा कर सकती है।
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तीस की उम्र में रखा व्यापार की दुनिया में कदम
जब दीपाली 30 साल की हुईं, तब उन्होंने अपनी गृहिणी की भूमिका से आगे बढ़ने का निर्णय लिया। वह जानती थीं कि उनके पति बालकृष्ण गोयनका एक बड़े व्यापारी हैं, लेकिन दीपाली का मकसद केवल उनकी सहायता करना नहीं था। वह खुद अपनी पहचान बनाना चाहती थीं। उन्होंने 2002 में वेलस्पन ग्रुप में शामिल होने का निर्णय लिया और डिजाइन स्टूडियो का नेतृत्व करना शुरू किया।
यह सफर आसान नहीं था। उन्हें बिजनेस के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। कॉटन की खरीदारी से लेकर मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस तक, उन्होंने हर पहलू को समझा। उन्होंने दिन-रात मेहनत की, जिससे वह न सिर्फ वेलस्पन ग्रुप में अपनी जगह बना सकीं, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकीं। दीपाली का मानना था कि यदि किसी चीज को सीखने की ललक हो, तो उम्र या परिस्थितियां मायने नहीं रखतीं।
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ऐसे किया वेलस्पन सिटी का निर्माण
2004 में, दीपाली ने वेलस्पन ग्रुप के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उन्होंने गुजरात में 2,500 एकड़ में फैले एक बड़े टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट, वेलस्पन सिटी की स्थापना का नेतृत्व किया। यह एक बहुत बड़ा कदम था। इस प्लांट की स्थापना से कंपनी को ग्लोबल मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिली।
लेकिन यह सिर्फ एक शुरुआत थी। दीपाली ने वेलस्पन के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार करने के लिए नई-नई योजनाओं पर काम किया।
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क्रिस्टी के अधिग्रहण से मिली नई पहचान
2006 में, वेलस्पन ने घरेलू लिनन की प्रसिद्ध निर्माता क्रिस्टी का अधिग्रहण किया, जिसे 1850 में स्थापित किया गया था। दीपाली ने इस अधिग्रहण में एक अहम भूमिका निभाई। इस कदम से वेलस्पन के Products का अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार हुआ। कंपनी ने न सिर्फ अपनी Quality में सुधार किया, बल्कि अपने Products को Global Market में स्थापित कर दिया।
इस अधिग्रहण के बाद, वेलस्पन ग्रुप ने अपने Products की Quality और वैरायटी पर अधिक जोर दिया। दीपाली के नेतृत्व में कंपनी ने नए-नए Designs और Trends को अपनाया, जिससे वह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक मजबूत ब्रांड के रूप में उभर सकी।
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दीपाली संभाल रही हैं बिजनेस की कमान
दीपाली की मेहनत और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए, 2010 में उन्हें वेलस्पन के ग्लोबल बिजनेस का SEO नियुक्त किया गया। इसके बाद, उन्होंने अपने नेतृत्व में कंपनी को कई नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 2014 तक, वह कंपनी की Joint Managing Director बन गईं।
आज, दीपाली गोयनका न केवल वेलस्पन ग्रुप की सह-संस्थापक हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक बिजनेसवुमन भी हैं। उनके नेतृत्व में वेलस्पन ग्रुप ने 32 देशों में अपना कारोबार फैला लिया है। कंपनी का टर्नओवर आज 18,566 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।