Business Idea: अगर आप सोचते हैं कि लाखों रुपये की कमाई के लिए बड़ी पूंजी और बहुत जमीन होना जरूरी है, तो यह खबर आपकी सोच को पूरी तरह बदल देगी। खेती के पारंपरिक ढांचे से बाहर निकलकर कुछ किसान अब एक ऐसा मॉडल अपनाने लगे हैं, जहां मात्र ₹200 से ₹500 की मामूली लागत में वे हर महीने लाखों की कमाई कर रहे हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं एक ऐसी खेती के बारे में जिसने सीमित संसाधनों वाले किसानों को भी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना दिया है। तो आइए जानते है इस बिजनेस आइडिया के बारे में विस्तार से।
Business Idea
देश के कई राज्यों में अब छोटे किसान भी जागरूक हो चुके हैं। अब वे सिर्फ गेहूं-धान तक सीमित नहीं रहना चाहते। ऐसे में कई किसानों ने मिश्रित खेती को अपनाकर छोटे खेतों को भी मुनाफे की जमीन में बदल दिया है।
खासकर भिंडी जैसी नकदी फसल ने उन्हें एक नई दिशा दी है। भिंडी की खेती की खास बात यह है कि इसकी लागत बेहद कम होती है और मांग हमेशा बनी रहती है।
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यह खेती है स्मार्ट बिजनेस
भिंडी की फसल उन कुछ फसलों में से एक है जो कम समय में तैयार होती है और लगातार उत्पादन देती है। इसकी कटाई शुरू होते ही मंडी में हाथों हाथ बिक्री होती है। फिलहाल बाजार में भिंडी की कीमत ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक चल रही है। यदि एक बीघा खेत से प्रतिदिन 30 किलो भिंडी भी निकलती है, तो किसान हर महीने लाखों में कमाई कर सकता है।
इसके अलावा, भिंडी की फसल को मिश्रित खेती में जोड़ने से उसकी उत्पादकता और लाभ दो गुना हो जाता है। किसान एक ही खेत में साथ में तोरई, दरहरी, पालक और चुकंदर जैसी सब्जियों को भी उगाते हैं, जिससे एक ही मौसम में पांच अलग-अलग फसलों से कमाई होती है।
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समझे मिश्रित खेती करने का तरीका
मिश्रित खेती कोई नई तकनीक नहीं है, लेकिन इसे सही तरीके से करना ही सफलता की कुंजी है। किसान पहले अपने खेत को समतल करते हैं और फिर क्यारियों में भिंडी के बीज बोते हैं।
इसके बाद क्यारियों के किनारों पर तोरई और दरहरी की बुवाई करते हैं। साथ ही, खाली जगहों में चुकंदर और हरी पत्तेदार सब्जियां बो दी जाती हैं।
जैसे-जैसे फसलें बढ़ती हैं, एक के बाद एक तैयार होती जाती हैं। सबसे पहले भिंडी की कटाई शुरू होती है, फिर तोरई और दरहरी की बिक्री होती है, और आखिर में चुकंदर और पालक खेत से निकाली जाती हैं। इस तरह चार महीने में एक ही खेत से कई बार कमाई होती है।
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जैविक तरीके से लागत में कटौती
अधिकतर किसान अब रासायनिक खाद के बजाय गोबर से बनी जैविक खाद और नीम आधारित कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। इससे उनकी लागत बहुत कम हो जाती है और फसल की Quality भी बनी रहती है। जैविक उत्पादों की मंडी में अच्छी कीमत मिलती है, जिससे कुल मुनाफा और भी बढ़ जाता है।
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फसल के बाद खेत को भी मिलता फायदा
भिंडी की पूरी फसल निकलने के बाद उसके बचे हुए पौधों को किसान खेत में ही मिला देते हैं, जिससे वह हरी खाद बन जाती है और अगली फसल के लिए मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। यानी खेती से सिर्फ नकद लाभ नहीं, बल्कि मिट्टी की सेहत भी बेहतर होती है।
बेरोजगार युवाओं के लिए बेहतरीन बिजनेस
आज के समय में जब युवा रोजगार की तलाश में शहरों की ओर भाग रहे हैं, यह मॉडल उनके लिए एक शानदार उदाहरण हो सकता है।
मात्र ₹2000 से ₹5000 की शुरुआती लागत और थोड़ी सी मेहनत के बल पर कोई भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकता है। यदि कोई 1 बीघा में शुरुआत करता है और सही तरीके से खेती करता है, तो वह हर महीने ₹50,000 से ₹1,00,000 तक की कमाई कर सकता है।