Business Idea For Women: हर कोई यह सोचता है कि रिटायरमेंट के बाद जिंदगी का सफर धीमा हो जाएगा। लेकिन केरल के कोल्लम की रिटायर्ड टीचर रेमाबाई एस ने इसे बिल्कुल उलट साबित कर दिया। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद अपने घर की छत को खेती की प्रयोगशाला बना दिया और वहां उगाए ड्रैगन फ्रूट के छोटे-छोटे पौधों से आज लाखों रुपये कमा रही हैं।
यह जानकर हर कोई हैरान है कि उन्होंने अपनी छत पर ही इस छोटे से पौधे को उगाकर कैसे अपने जीवन की दिशा ही बदल दी। आइए जानते हैं रेमाबाई की इस अद्भुत कहानी के बारे में, जिसने सबको चौंका दिया है।
अचानक से आया यह Business Idea?
रेमाबाई एस की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। 58 वर्षीय रेमाबाई ने अपनी जिंदगी का अधिकांश हिस्सा बतौर Zoology Teacher और Headmistress के रूप में स्कूल में बिताया। 2022 में जब उन्होंने रिटायरमेंट लिया, तो जीवन में अचानक एक खालीपन सा महसूस हुआ।
उनकी मां का निधन हो चुका था और बेटा दिल्ली में काम कर रहा था। पति भी अपने काम में व्यस्त रहते थे। ऐसे में रेमाबाई को अकेलापन घेरने लगा। फिर उन्होंने अपनी छत पर खेती करने का एक अनोखा प्रयोग शुरू किया।
रेमाबाई की मां ने अकेले अपने 13 बच्चों की परवरिश की थी, इसलिए उन्होंने अपनी मां से मिले साहस और आत्मनिर्भरता को ही अपनी शक्ति बनाया। अकेलेपन को अपने ऊपर हावी न होने देने का उन्होंने संकल्प लिया और अपनी ऊर्जा को खेती में लगाने का निर्णय किया।
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अनोखे तरीके से किया छत पर खेती
रेमाबाई के बेटे ने उन्हें ड्रैगन फ्रूट के स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया, जिससे प्रेरित होकर उन्होंने इस फल की खेती करने का फैसला किया। लेकिन उनके सामने एक बड़ी समस्या थी—खाली जमीन की कमी। उनके पास इतनी जगह नहीं थी जहां वे ड्रैगन फ्रूट के पौधों को उगा सकें। इसके अलावा, छत पर मिट्टी ले जाना और वहां खेती करना भी आसान नहीं था।
तभी उनके मन में एक नया विचार आया—क्यों न बिना मिट्टी के ही खेती की जाए। उन्होंने अपनी छत पर बड़े प्लास्टिक बैरल रखे और उनमें जैविक खाद और अन्य आवश्यक सामग्री का उपयोग कर बिना मिट्टी के ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। यह तरीका न सिर्फ अनोखा था बल्कि उनकी समस्या का समाधान भी था।
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कैसे लगाया छत पर यह पौधा?
रेमाबाई ने अपनी छत पर 50 बड़े प्लास्टिक बैरल लगाए, जिनमें उन्होंने 100 पौधे उगाए। ड्रैगन फ्रूट के पौधों के लिए उन्होंने लाल और पीली किस्मों का चयन किया। पौधों को पोषण देने के लिए जैविक खाद का उपयोग किया और धीरे-धीरे उनका यह प्रयोग सफल होता चला गया।
जैसे-जैसे पौधे बढ़ने लगे, रेमाबाई का आत्मविश्वास भी बढ़ता गया। उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में और जानकारी जुटाई और अपनी मेहनत को जारी रखा। कुछ ही महीनों में उन्होंने 500 किलो ड्रैगन फ्रूट की पैदावार कर ली। इस सफलता के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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हर महीने करती हैं 5 क्विंटल फलों का उत्पादन
रेमाबाई की मेहनत और नए तरीके से खेती करने का उनका जुनून रंग लाया। अब वह हर महीने 500 किलो ड्रैगन फ्रूट उगाती हैं और इसे बाजार में बेचकर करीब 1 लाख रुपये की कमाई कर रही हैं। उनके ड्रैगन फ्रूट की Quality और ताजगी ने बाजार में उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई है।
रेमाबाई के इस सफर ने न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें एक नई पहचान भी दी है। उनका कहना है कि यह सफलता उन्होंने सिर्फ अपने जुनून और मेहनत के दम पर हासिल की है।