Business Idea: गुवाहाटी की गलियों से निकली एक ऐसी कहानी, जो न सिर्फ हैरान करती है बल्कि यह भी बताती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी काम छोटा नहीं होता।
यहां बात हो रही है अनंत अजमेरा की, जिन्होंने उच्च शिक्षा के रास्ते को बीच में छोड़कर एक बेहद साधारण व्यवसाय को चुना। जिसे अनंत अजमेरा ने आज 5 करोड़ रुपये सालाना कमाने वाला बिजनेस बना दिया है। तो आइए जानते है इस बिजनेस स्टोरी के बारे में विस्तार से।
जब पीएचडी छोड़ने का लिया फैसला
अनंत अजमेरा पढ़ाई में अव्वल थे। उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से Commerce में Graduation किया, फिर MBA और M.Com की डिग्री ली। इसके बाद वह जूनियर रिसर्च फेलो (JRF) बने और यूजीसी की परीक्षा में रैंक हासिल की।
आगे बढ़ते हुए उन्होंने पीएचडी में दाखिला लिया और वित्त विषय में आठ रिसर्च पेपर और दो पुस्तक अध्याय प्रकाशित किए। लेकिन जैसे-जैसे रिसर्च का बोझ बढ़ा, उनका मन वहां से हटने लगा। अनंत को महसूस हुआ कि सिर्फ डिग्री से जीवन नहीं बदलता, असली काम तो जमीन से जुड़कर ही होता है।
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एक छोटा कदम, बड़ी सोच
साल 2014 में, मात्र 26 साल की उम्र में, अनंत ने एक अनोखा फैसला लिया। उन्होंने पीएचडी बीच में ही छोड़ दी और झाड़ू निर्माण के लिए कच्चे माल के थोक व्यापार से शुरुआत की।
असम-मेघालय सीमा पर उन्होंने ₹10 लाख की पूंजी से 1,000 वर्ग फुट का गोदाम किराए पर लिया। शुरू में वह केवल कच्चे माल की आपूर्ति करते थे, लेकिन जल्द ही उन्होंने खुद झाड़ू बनाना शुरू कर दिया।
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‘जंगल एग्रोस’ की नींव
अनंत ने अपने Business Idea को एक पहचान देने के लिए “जंगल एग्रोस” नाम की कंपनी की स्थापना की। इस कंपनी का उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं था, बल्कि किसानों और ग्रामीण कारीगरों को सशक्त बनाना भी था।
उन्होंने सीधे किसानों से संपर्क किया और झाड़ू बनाने के लिए High Quality की घास उचित कीमत पर खरीदी। इससे जहां किसानों को लाभ हुआ, वहीं अनंत को बेहतरीन कच्चा माल मिलने लगा।
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झाड़ू भी होते हैं कई तरह के
बाजार की मांग को समझते हुए अनंत ने झाड़ू के कई प्रकार तैयार करने शुरू किए — जैसे असम घास झाड़ू, फर्श झाड़ू, रीड घास झाड़ू, प्लास्टिक हैंडल वाली झाड़ू और लंबी पाइप झाड़ू। हर Products को इस तरह डिजाइन किया गया कि ग्राहक उसे सिर्फ जरूरत नहीं, बल्कि Quality की वजह से भी पसंद करें।
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तकनीक और सुधार का मेल
अनंत ने इस पारंपरिक व्यवसाय में तकनीक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी जोड़ा। उन्होंने झाड़ू-घास को सुखाने और स्टोर करने की आधुनिक प्रक्रिया अपनाई जिससे Product की Quality और टिकाऊपन बेहतर हुआ।
उन्होंने पैकेजिंग, स्टोरेज और डिलीवरी सिस्टम को प्रोफेशनल बनाया। इससे ग्राहक संतुष्टि और ब्रांड की विश्वसनीयता दोनों में बढ़ोतरी हुई।
अब बन चुकी है करोड़ों की कंपनी
आज “जंगल एग्रोस” सालाना ₹5 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर कर रही है। कंपनी सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि मध्य-पूर्वी देशों, अफ्रीकी देशों और दक्षिण एशिया में भी झाड़ू निर्यात कर रही है। अनंत की इस पहल से न सिर्फ उनका खुद का भविष्य संवरा है, बल्कि करीब 500 से ज्यादा ग्रामीण किसानों और मजदूरों को रोजगार भी मिला है।
उनका सपना अब “जंगल एग्रोस” को भारत की सबसे बड़ी झाड़ू निर्माता कंपनी बनाना है। वो Digital Marketing, E-commerce और B2B Networking के ज़रिए झाड़ू को एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का घरेलू ब्रांड बनाना चाहते हैं।
किसानों और रोजगार को मिल रही मजबूती
अनंत के इस व्यवसाय से न सिर्फ उनकी जिंदगी बदली है, बल्कि सैकड़ों किसानों और ग्रामीण मजदूरों को भी रोजगार मिला है। वे उन्हें नियमित Training और उचित मजदूरी देकर समाज को आर्थिक रूप से मजबूत करने में योगदान दे रहे हैं।
जो पारंपरिक लोग नहीं कर सके
जब अनंत ने इस क्षेत्र में कदम रखा, तब यह Industry ज्यादातर पारंपरिक अनुभव वाले लोगों के हाथ में थी। वे पुराने तरीकों से काम करते थे। अनंत ने इसमें Professionalism, Research और Technology का तालमेल बैठाया, जिससे उनकी कंपनी बाकी से अलग दिखने लगी।