Business Idea: किसी भी बिजनेस को शुरू करने के लिए बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता नहीं होती। आपके हौसले बुलंद है तो आप बहुत छोटी सी इन्वेस्टमेंट के साथ भी करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर सकते है।
ऐसी ही मिसाल सरला आहूजा ने भी पेश की है, उन्होंने एक मशीन ऑपरेटर के रूप में काम शुरू किया और आज शाही एक्सपोर्ट के नाम से अपना 8240 करोड़ की Unicorn Company भी खड़ी कर दी है।
आज इस जानकारी में हम सरला आहूजा की प्रेरणादायक स्टोरी के बारे में जानने वाले हैं। कैसे उन्होंने अपना काम शुरू किया और किस प्रकार से वह 50 से भी ज्यादा कारखाने चलाने में सफल हुई है। तो चलिए शुरू करते हैं।
सिलाई ऑपरेटर के काम से शुरू किया बिजनेस
सरला आहूजा की कहानी 1974 से शुरू हुई है। भारत-पाकिस्तान के विभाजन के कारण 10 साल की उम्र में सरला को अपना घर छोड़ना पड़ा। परिवार की स्थिति सही न होने के कारण सरला ने कम उम्र में ही फैक्ट्री में सिलाई का काम शुरू किया।
16 साल की उम्र में उनका विवाह हो गया और घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ गई जिसके कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी। इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत करके पैसे जोड़कर 1974 में केवल ₹5000 से घर से ही शाही एक्सपोर्ट की शुरुआत की थी।
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हजारों महिलाओं को दे चुकी हैं नौकरी
सरला आहूजा की ऐसी कहानी है जिन्होंने न सिर्फ एक सफल बिजनेस बनाया बल्कि हजारों महिलाओं को सशक्त बनाने का काम भी किया है। सरला आहूजा ने केवल ₹5000 से शाही एक्सपोर्ट की नींव रखी थी और आज के समय में उन्होंने इसे 8240 करोड़ का साम्राज्य बना दिया है।
सरला आहूजा की कंपनी एच&एम, ज़ारा, वॉलमार्ट जैसे बड़े-बड़े ब्रांड को कपड़े सप्लाई करती है और उन्होंने 86000 से भी अधिक महिलाओं को रोजगार दिया हुआ है।
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कई बड़े देशों में करती हैं एक्सपोर्ट
इस बिजनेस की शुरुआती दौर में सरला को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। काम का दबाव और पड़ोसियों की शिकायत सब कुछ झेलते हुए सरला ने अपनी मेहनत नहीं छोड़ी। वह अपने ऑर्डर पूरे करने के लिए रात-रात भर जाग कर काम करती रही। धीरे-धीरे उनका बिजनेस भी बढ़ने लगा। आज के समय में सरला अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में कपड़े एक्सपोर्ट भी करती है।
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सरला का मुख्य उद्देश्य
सरला का उद्देश्य केवल पैसा कमाना ही नहीं था बल्कि वह अपने आसपास की महिलाओं को भी सशक्त बनाना चाहती है। इसलिए वह आसपास की झुग्गी बस्तियों में जाती है और महिलाओं को अपने साथ काम करने के लिए प्रेरित करती हैं। इसके कारण उन्हें कई बार विरोध का सामना भी करना पड़ा।
“पर्सनल एडवांसमेंट एंड करियर एनहैंसमेंट” प्रोग्राम को पायलट करने वाली शाही एक्सपोर्ट पहली कंपनी बनी। इस प्रोग्राम के जरिए कंपनी महिलाओं को कम्युनिकेशन, डिसीजन मेकिंग, टाइम मैनेजमेंट और फाइनेंशियल लिटरेसी जैसी जरूरी स्किल भी सिखाती है। 75000 से भी अधिक महिलाओं को इस प्रोग्राम का फायदा मिल चुका है।
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भारत में हैं इनके 50 से ज्यादा कारखाने
90 के दशक में सरला के दोनों बेटे सुनील और हरीश आहूजा भी इस बिजनेस में शामिल हो गए। उनकी दूरदर्शिता और मेहनत से शाही एक्सपोर्ट ने और भी अधिक तरक्की की। आज के समय में शाही एक्सपोर्ट के देश भर में 51 कारखाने है जिसमें 1,15,000 से भी अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं।
कंपनी की सस्टेनेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए गए हैं। इन्होंने कर्नाटक में दो सोलर पावर प्लांट और महाराष्ट्र में एक विंड एनर्जी प्लांट भी स्थापित किया है। भले ही आज 88 साल की उम्र में सरला बिजनेस से रिटायर हो चुकी है, लेकिन उनकी यह Business Idea और कहानी हमेशा सभी को प्रेरणा देती रहेगी।
Aap ek story to bata hi rahe ho ye bhi bata do ki us time me 5000 Rupees kitne the Jo inhone business me invest kiye year 1974 me us time vo 5000 Rupees aaj ke ₹20 Lakh ke barabbar honge shayad
Yes Bhanu, aapki baat bilkul sahi hai.