Business Idea: सिर्फ 10वीं तक पढ़ा, कई देशों में कारोबार, टर्नओवर ₹4 करोड़ से ज्यादा

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Business Idea: जब रास्ते बंद हों, जेब खाली हो और पढ़ाई भी अधूरी रह जाए, तब ज़िंदगी से उम्मीद करना आसान नहीं होता। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हालातों से नहीं, अपने हौसलों से लड़ते हैं।

ऐसा ही एक नाम है लखनऊ के एक युवक का, जिसने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की और फिर कढ़ाई वाले कपड़ों के कारोबार में ऐसा मुकाम हासिल किया कि आज उसकी मेहनत की गूंज देश ही नहीं, विदेशों तक सुनाई देती है। टर्नओवर ₹4 करोड़ से भी ज्यादा और 10 से ज्यादा देशों में बिजनेस फैला हुआ — लेकिन इस सफर की शुरुआत हुई थी एक उधारी और एक ठुकराए गए सैंपल से।

बचपन से जिम्मेदारी का बोझ

नितेश का बचपन आसान नहीं था। लखनऊ के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे नितेश को घर की आर्थिक स्थिति के कारण बहुत जल्दी जिम्मेदारियां उठानी पड़ीं।

पढ़ाई में अच्छे होने के बावजूद उन्हें साल 2000 में 10वीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। परिवार चलाने के लिए उन्होंने छोटे-मोटे काम किए। लेकिन उनके अंदर हमेशा से कुछ अलग करने की चाह थी।

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किस्मत बदलने वाली डायरेक्टरी

साल 2005 में उनके जीवन में एक अजीब मोड़ आया, जब उन्हें घर के पास एक डस्टबिन में एक पुरानी Exporters Directory मिली। नितेश पहले से ही लखनऊ की मशहूर चिकनकारी कढ़ाई के काम से परिचित थे, इसलिए उन्होंने उस डायरेक्टरी में दिए गए नंबरों पर कॉल करना शुरू किया। 

खुद को निर्माता बताकर उन्होंने ऑर्डर की संभावना की तलाश शुरू की। एक Exporter ने सैंपल मंगवाए। नितेश ने जान-पहचान की एक दुकान से उधारी पर 30 चिकनकारी साड़ियों के सैंपल खरीदे और मुंबई भेज दिए।

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पहला मुनाफा, पहली सीख

मुंबई वाले एक्सपोर्टर ने उनमें से केवल एक साड़ी चुनी, जो सफेद सूती चिकनकारी थी। उसने उसी डिजाइन की 1,000 साड़ियों का ऑर्डर दिया। नितेश ने बड़ी मुश्किल से वह आर्डर पूरा किया। प्रति साड़ी ₹375 के हिसाब से उन्हें कुल ₹3.75 लाख मिले और पहले ऑर्डर से उन्हें ₹20,000 का शुद्ध मुनाफा हुआ। लेकिन सफलता की ये शुरुआत बहुत जल्द चुनौतियों में बदल गई।

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जब धंधा डूबने लगा

जल्द ही उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कभी माल समय पर तैयार नहीं होता था, कभी Client Payment देने में देर करता था। कई बार माल रिजेक्ट भी हो जाता।

देखते-देखते उनका सारा पैसा खत्म हो गया। लेकिन नितेश ने हार नहीं मानी। उनके एक पुराने ग्राहक ने उन्हें ₹13,000 उधार दिए और उन्होंने एक बार फिर से बिजनेस खड़ा करने की ठानी।

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दिल्ली से सिंगापुर तक का सफर

नितेश ने फिर से कुछ स्टॉक तैयार किया और दिल्ली में बेचने का प्लान बनाया। वहीं उनकी मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जो सिंगापुर जा रहा था। वह व्यक्ति उन्हें भी अपने साथ ले गया। 

नितेश ने कुछ चिकनकारी साड़ियां और कुर्तियां सिंगापुर में बेचीं, लेकिन माल ज्यादा नहीं बिका। हालांकि, उन्हें वहां के बाजार की संभावनाएं नजर आईं। अगली बार उन्होंने नए डिजाइन की चिकनकारी कुर्तियां तैयार कीं और फिर से सिंगापुर गए। इस बार उनका माल खूब बिका। यहीं से उनके इंटरनेशनल बिजनेस की शुरुआत हुई।

आज 12 देशों में कारोबार

धीरे-धीरे उन्होंने यूरोप, खाड़ी देशों, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे बाजारों में भी अपने Products भेजने शुरू कर दिए। आज नितेश का बिजनेस करीब 12 देशों में फैला है। उनके ग्राहक भारतीय मूल के लोग ही नहीं, विदेशी भी हैं जो भारतीय कढ़ाई को बहुत पसंद करते हैं।

उनका सालाना टर्नओवर ₹4 करोड़ से अधिक है। वे 1,200 से ज्यादा कारीगरों को काम दे रहे हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं जो घर से ही कढ़ाई का काम करती हैं।

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