Business Story: गांव के तालाब से शुरू हुई एक साधारण सी पहल आज करोड़ों की इनकम में बदल चुकी है। न कोई बड़ी डिग्री, न कोई भारी-भरकम मशीनरी, फिर भी आज उत्तर प्रदेश के कई गांवों में युवाओं ने ऐसा काम कर दिखाया है। यह कहानी सिर्फ मुनाफे की नहीं, बल्कि मेहनत, योजना और सही मार्गदर्शन से किस्मत बदलने की असली तस्वीर है।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी और जौनपुर जैसे जिलों में रहने वाले युवाओं और महिलाओं ने दिखा दिया कि अगर गांव में रहकर भी कुछ बड़ा करने का सपना हो, तो उसे साकार किया जा सकता है। तो आइए जानते है इस Business Story के बारे में विस्तार से।
गांव से शुरू, लेकिन नजरें थीं ऊंचाई पर
विक्रांत पाठक का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। वाराणसी जिले के एक छोटे से गांव में रहने वाले विक्रांत ने कभी सोचा भी नहीं था कि मछली पालन उन्हें करोड़पति बना देगा। शुरुआत हुई 2 हेक्टेयर जमीन से। उन्होंने तालाब खुदवाया, मत्स्य विभाग की तकनीकी सलाह ली और धीरे-धीरे मछली पालन की शुरुआत की।
सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हुए और वैज्ञानिक तरीके अपनाते हुए उन्होंने इस काम को गंभीरता से लिया। शुरुआत में भले ही मुनाफा कम था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते उनका बिजनेस 42 हेक्टेयर तक फैल गया।
यह भी पढ़ें: झारखण्ड की युवती का बिजनेस, नौकरी छोड़ ₹200 करोड़ का टर्नओवर
सालाना कमाई 1.5 करोड़ से भी ज्यादा
आज विक्रांत पाठक का मछली पालन व्यवसाय केवल उनका खुद का कारोबार नहीं, बल्कि सैकड़ों ग्रामीणों के लिए रोजगार का जरिया बन गया है। वह न सिर्फ खुद मछली पालन कर रहे हैं, बल्कि 150 से ज्यादा किसानों को इस बिजनेस से जोड़ चुके हैं। उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में यह संख्या 500 तक पहुंचे।
उनके बिजनेस से हर साल करीब ₹1.5 करोड़ की कमाई हो रही है। वह रोहू, कतला, मृगेल जैसी व्यावसायिक मछलियों का पालन करते हैं और पूरे पूर्वांचल में उनके फार्म की मांग है।
ये भी पढ़ें: गांव से हर माह ₹34000 का फायदा, चाहिए तो बस काम चलाऊ जमीन
मछली पालन क्यों बन रहा है हॉट बिजनेस?
उत्तर प्रदेश में मत्स्य विभाग (Fisheries Department) द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का असर अब साफ दिखने लगा है। सरकार न केवल Training और Technical सहयोग दे रही है, बल्कि Financial सहायता, अनुदान और बाजार से जुड़ने के लिए भी मदद कर रही है।
छोटे तालाबों में कम लागत में मछली पालन शुरू किया जा सकता है और अगर वैज्ञानिक तरीकों से इसे किया जाए, तो यह बड़ा और मुनाफे वाला कारोबार बन सकता है। इसके लिए FPO (Farmer Producer Organization) का सहयोग, सरकारी योजनाएं और विभागीय मार्गदर्शन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
यह भी पढ़ें: अकेले होगा बिजनेस, ₹16 का सामान ₹65 में बेचो, कमाओ ₹4000 डेली
अब गांवों से ही निकल रही हैं सफलता की लहरें
उत्तर प्रदेश सरकार और मत्स्य विभाग की योजनाओं ने इस दिशा में बड़ा योगदान दिया है। गांवों में रहने वाले युवाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सलाह, बीज, दवाइयों से लेकर बाज़ार तक की Connectivity दी जा रही है। तालाबों की खुदाई पर अनुदान, आधुनिक उपकरणों की सहायता और नियमित Monitoring से इस क्षेत्र को नई ऊंचाई मिली है।
जहां पहले यह काम छोटे स्तर पर किया जाता था, वहीं अब यह एक Organized और Professional Business Model बन चुका है। किसान अब एकजुट होकर संगठन बना रहे हैं, ताकि उत्पादन, आपूर्ति और बिक्री में मुनाफा बना रहे।
एक छोटा कदम, बड़ी उड़ान
गांव के एक साधारण से काम को योजना बनाकर शुरू किया जाए, तो वही काम लाखों नहीं, करोड़ों का मुनाफा दे सकता है। उत्तर प्रदेश के ये उदाहरण देशभर के युवाओं को यह संदेश दे रहे हैं कि नौकरियों के पीछे भागने के बजाय खुद का बिजनेस शुरू करना कहीं बेहतर विकल्प है।