Business Success Story: सूरज की पहली किरण के साथ जब गांव की गलियों में रौनक लौटती है, तब एक घर के भीतर लकड़ी पर चोट करती हथौड़ी की आवाज गूंजती है। ये आवाज है एक महिला के संघर्ष और सफलता की कहानी की। एक ऐसी महिला जिसने पति को खोने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी। जिसने टूटने के बजाय खुद को फिर से जोड़ा, और आज 63 साल की उम्र में ऐसा कारोबार चला रही हैं कि हर महीने 20 लाख रुपये तक की कमाई कर रही हैं।
यह कहानी है तमिलनाडु के एक छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने वाली कोकिला की। जिनकी जिंदगी कभी कठिनाइयों और आंसुओं से भरी थी, लेकिन आज वह अपने हुनर और जज्बे से हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं।
पति की मौत से टूटी, लेकिन हारी नहीं
कोकिला के. की जिंदगी में सब कुछ सामान्य चल रहा था, जब उनके पति को अचानक फेफड़ों के Tumor का पता चला। वह पेशे से Pesticide Distributor थे और Fumigation का काम भी करते थे, यानी इमारतों में दीमक और कीट नियंत्रण के लिए रसायनों का छिड़काव।
कई वर्षों तक कीटनाशकों के संपर्क में रहने के कारण उन्हें यह बीमारी हुई। करीब सात साल तक इलाज चला, लेकिन अंततः 42 साल की उम्र में कोकिला के पति का निधन हो गया।
उस वक्त कोकिला तीन बेटों की मां थीं और परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई थी। सरकारी नौकरी में वो Junior Telecom Officer के पद पर कार्यरत थीं, लेकिन इलाज के खर्च और बच्चों की पढ़ाई के बीच उनका वेतन काफी नहीं था।
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लकड़ी के बक्से से शुरू हुआ सफर
अब कोकिला के पास दो ही रास्ते थे – या तो हालात के सामने घुटने टेक दें या फिर उनका सामना करें। उन्होंने दूसरा रास्ता चुना। सबसे पहले उन्होंने लकड़ी के बक्सों की सप्लाई का छोटा सा व्यवसाय शुरू किया।
यह Business Success Story शुरू करके के साथ साथ उन्होंने नौकरी को भी संभाला। सुबह ऑफिस और शाम को ऑर्डर पूरे करने की जद्दोजहद। कई बार थककर चूर हो जातीं, लेकिन अपने बच्चों का भविष्य संवारने की जिद ने उन्हें हिम्मत दी।
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एक बाजार यात्रा ने बदल दी सोच
एक दिन कोकिला बाजार गई और देखा कि दुकानों पर बच्चों के लिए ज्यादातर खिलौने सस्ते प्लास्टिक से बने हैं – जो न केवल जल्दी टूटते हैं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक हैं।
यहीं से उनके दिमाग में एक आईडिया आया – क्यों न टिकाऊ, Eco-friendly और सुरक्षित लकड़ी के खिलौने बनाए जाएं! वो दिन था और आज का दिन, कोकिला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
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बेटे ने दिया साथ, शुरू हुआ ‘वुडबी टॉयज’
समय बीतता गया। कोकिला के सबसे बड़े बेटे ने एक दिन साहसिक फैसला लिया – अपनी Corporate नौकरी छोड़कर मां के इस बिजनेस में पूरी तरह शामिल होने का। अब परिवार के दो हाथ हो गए थे, और तेजी से Venture बढ़ने लगा।
कोकिला ने अपने Venture का नाम रखा – “WoodBee Toys” (वुडबी टॉयज)। आज यह कंपनी 110 से ज्यादा प्रकार के लकड़ी के खिलौने बनाती है – जैसे Puzzles, Educational Toys, Cars, Trains, Blocks आदि। ये खिलौने न सिर्फ बच्चों के लिए सुरक्षित हैं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक नहीं।
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हर महीने होती है 15 लाख से ऊपर की बिक्री
वुडबी टॉयज की गिनती आज देश के प्रतिष्ठित खिलौना ब्रांड्स में की जाती है। यह कंपनी हर महीने 20 से 30 लाख रुपये तक की कमाई कर रही है।
कोकिला का बिजनेस मॉडल ऐसा है जिसमें ग्रामीण महिलाओं को Training देकर रोजगार भी दिया जाता है। उन्होंने तमिलनाडु के कई गांवों में महिला कारीगरों की एक टीम तैयार की है, जो डिजाइनों के अनुसार खिलौने तैयार करती हैं।
उम्र नहीं, जज्बा मायने रखता है
कोकिला के. की कहानी साबित करती है कि अगर जज्बा हो तो कोई भी उम्र नई शुरुआत के लिए बाधा नहीं बन सकती। जहां ज्यादातर लोग 60 की उम्र के बाद आरामदायक जिंदगी चाहते हैं, वहीं कोकिला ने इस उम्र में ऐसा बिजनेस खड़ा किया, जिसकी मिसाल दी जाती है।