Small Business Idea: अनुभव से इसरो वैज्ञानिक, शौक से कैब ड्राइवर, हर साल बना रहा है 2 करोड़ रुपए

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Small Business Idea: क्या आपने कभी सोचा है कि एक इसरो के वैज्ञानिक का सपना क्या हो सकता है? बेशक, स्पेस मिशन, नए Innovation और Science से भरी ज़िंदगी। लेकिन अगर हम आपको बताएं कि एक इसरो का वैज्ञानिक अपनी नौकरी छोड़कर कैब चलाने लगा और हर साल 2 करोड़ रुपए कमा रहा है, तो क्या आप यकीन करेंगे? जी हां, यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि सच्चाई है।

उथैया कुमार, जो इसरो के पूर्व वैज्ञानिक रह चुके हैं, आज एक सफल कैब बिज़नेस चला रहे हैं और हर साल करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। उनकी यह प्रेरक कहानी इस वक्त सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है।

पूरे 7 साल किया ISRO में नौकरी

उथैया कुमार का करियर एक सपने की तरह शुरू हुआ। उन्होंने इसरो में वैज्ञानिक के तौर पर सात साल तक काम किया। स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में काम करना हर भारतीय के लिए गर्व की बात होती है। कुमार ने भी पूरी मेहनत और लगन से इसरो में अपना योगदान दिया।

इसरो में उनकी नौकरी उनके जीवन का एक सुनहरा अध्याय थी, जहां उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में कई महत्वपूर्ण Projects पर काम किया। लेकिन हर व्यक्ति का सपना केवल नौकरी तक सीमित नहीं होता, कुछ और भी होता है जो उसे भीतर से खींचता है।

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नौकरी छोड़ने का लिया बड़ा फैसला

उथैया कुमार का जीवन उस मोड़ पर आया, जब उन्होंने कुछ नया (Small Business) करने का सोचा। हालांकि, इसरो की नौकरी छोड़ना आसान नहीं था, क्योंकि यह न केवल सम्मानजनक थी बल्कि सुरक्षित भी। लेकिन कुमार के दिल में कुछ और था। उन्होंने महसूस किया कि वह एक अलग दिशा में जाना चाहते हैं और उनका असली शौक बिजनेस की दुनिया में है।

कुमार का यह फैसला कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था। लोग सोचने लगे कि आखिर एक वैज्ञानिक कैब ड्राइवर क्यों बनेगा? लेकिन कुमार के पास अपने इस फैसले का ठोस कारण था। वह जीवन में केवल पैसे और नौकरी की सुरक्षा के बजाय, अपने शौक और बिजनेस आइडिया को फॉलो करना चाहते थे।

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इसरो वैज्ञानिक से कैसे बने कैब ड्राइवर?

उथैया कुमार कभी इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) में एक अच्छे वैज्ञानिक थे। कुमार का सपना सिर्फ इसरो तक सीमित नहीं था। वे हमेशा से एक उद्यमी बनना चाहते थे, लेकिन विज्ञान के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें लंबे समय तक इसरो में रोके रखा।

एक समय ऐसा आया जब उन्होंने अपने बचपन के शौक को अपने करियर का हिस्सा बनाने का फैसला किया। उनका मानना था कि जीवन में काम वही होना चाहिए जो आपको अंदर से खुशी दे और यही विचार उनके बड़े निर्णय का कारण बना।

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कैब ड्राइविंग बिजनेस करने के पीछे की वजह

कई लोग सोच सकते हैं कि कैब ड्राइविंग जैसे काम में एक वैज्ञानिक क्यों आएगा। लेकिन कुमार के लिए यह सिर्फ एक कैब चलाने का काम नहीं था, बल्कि एक बिजनेस आइडिया था। उन्होंने इसरो से इस्तीफा देने के बाद खुद की कैब कंपनी शुरू की। हालांकि शुरुआत में उन्होंने खुद कैब चलाई ताकि वे बिजनेस की बारीकियों को समझ सकें और अपने Customer Base का निर्माण कर सकें।

कुमार ने उबर और ओला जैसी कैब सेवाओं से शुरुआत की। धीरे-धीरे उनके पास कई गाड़ियां और ड्राइवर जुड़ गए। वे अब कैब ड्राइवर नहीं, बल्कि एक सफल बिजनेस मैन बन गए। कुमार का कैब बिजनेस के इस Small Business Idea से आज सालाना करीब 2 करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रहा है।

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