Success Story: कहने को बिहारी, घर से ही कर रहा 45 लाख महीना कमाई, ऐसे किया शुरू

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Success Story: बिहार को अक्सर पिछड़ेपन, बेरोजगारी और पलायन के लिए जाना जाता है, लेकिन यह राज्य प्रतिभा, जज्बे और जुनून की मिसाल भी है। ऐसी ही मिसाल पेश की है मुजफ्फरपुर के रहने वाले एक साधारण युवक ने, जिसने मशरूम की खेती से करोड़ों की कमाई कर डाली।

आज वही युवक न केवल अपने राज्य में नाम कमा रहा है, बल्कि देशभर में जाना जाता है। कहने को बिहारी, लेकिन कमाई दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर के स्टार्टअप्स को भी पीछे छोड़ रही है — और वो भी सिर्फ घर से ही। तो आइए जानते है इस Success Story के बारे में विस्तार से।

शुरुआत हुई थी एक स्वाद से

साल 2000 की बात है। दिल्ली की गलियों में संघर्ष कर रहे इस युवक ने पहली बार मशरूम खाया।

ब्राह्मण परिवार से होने के कारण पहले तो उसे संदेह हुआ कि यह कोई Non-veg Items है, लेकिन जब दोस्तों ने बताया कि यह पूरी तरह शाकाहारी है, तब जाकर उसने दोबारा खाया और वही स्वाद उसके जीवन की दिशा बदल गया। उसी दिन से उसके मन में यह सवाल बैठ गया – यह चीज है क्या? कहां उगती है? कैसे बनती है?

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जिज्ञासा बनी जुनून

दिल्ली की आजादपुर मंडी में काम करते हुए उसने देखा कि मशरूम की आपूर्ति हरियाणा से होती है। वहां जाकर उसने देखा कि जिन मजदूरों के दम पर मशरूम का कारोबार फल-फूल रहा है, उनमें से अधिकतर बिहार के ही हैं। तभी उसके मन में आया कि जो कुछ हरियाणा में हो रहा है, वो बिहार में क्यों नहीं हो सकता!

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हर छुट्टी पर खेतों का दौरा

वह हर छुट्टी में हरियाणा और हिमाचल की मशरूम फार्मिंग यूनिट्स का दौरा करने लगा। वहां के वैज्ञानिकों और किसानों से मुलाकात की, बारीकियों को समझा। जब समझ पूरी हो गई, तो फैसला किया — अब अपने बिहार में ही मशरूम की खेती करूंगा।

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19 साल की तैयारी और फिर वापसी

हालांकि यह फैसला आसान नहीं था। पारिवारिक जिम्मेदारियों और बच्चों की परवरिश के कारण वह तुरंत बिहार नहीं लौट सका। लेकिन 2019 में, पूरे 19 साल की रिसर्च और अनुभव के बाद उसने दिल्ली को अलविदा कहा और मुजफ्फरपुर में मशरूम फार्मिंग शुरू कर दी।

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बिना सपोर्ट के की शुरुआत

शुरुआत आसान नहीं थी। ना बैंक मदद को तैयार, ना ही समाज ने समर्थन दिया। लोग मजाक उड़ाते थे — कोई कहता ‘कुकुरमुत्ता उगा रहा है’, कोई कहता ‘गोबर छाता बेच रहा है’। लेकिन उसने हर ताने का जवाब अपने काम से दिया। हनुमान भक्त होने के नाते कहता – “हनुमान जी, इनका आप ध्यान रखना!”

पत्नी ने दिया सबसे बड़ा बलिदान

जब बैंक लोन देने से कतरा रहे थे, तो उसकी पत्नी ने अपने गहने, मंगलसूत्र तक गिरवी रख दिए। बिना एक सवाल पूछे। यही नहीं, संघर्ष के हर मोड़ पर वो उसके साथ चट्टान की तरह खड़ी रही।

बैंक मैनेजर को दिया आंकड़ों से जवाब

जब बैंक वालों ने कहा कि ‘मशरूम उगाकर EMI कैसे दोगे!’ तब उसने एक ठोस तर्क दिया – “हरियाणा और पंजाब की कुल जनसंख्या 6 करोड़ है, फिर भी वे बिहार के 18 करोड़ लोगों को अपना प्रोडक्ट बेचते हैं। तो जब मार्केट यहीं है, संसाधन यहीं हैं, मैनपावर यहीं है, तो प्रोडक्शन बाहर क्यों!” इस तर्क से बैंक भी मान गया और लोन Accepted हुआ।

घर से ही बना 20 कमरों वाला फार्म हाउस

उसने अपने घर के पास 6 कमरों से शुरुआत की और आज उसके पास 20 कमरों वाला एक हाईटेक मशरूम फार्म है, जहां हर दिन 1600-2200 किलो तक मशरूम का उत्पादन होता है। एक दिन में 40-50 हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा और महीने भर में लगभग ₹45 लाख तक की कमाई।

आज हर जुबां पर एक ही नाम, ‘मशरूम मैन’

अब उसके इलाके में कोई उसे शशि नहीं कहता। सब उसे ‘मशरूम मैन’ के नाम से जानते हैं। उसकी कहानी यह बताती है कि सिर्फ डिग्री नहीं, सोच, मेहनत और धैर्य ही असली सफलता की कुंजी है। यह सफलता की वो कहानी है, जो हर उस युवा को प्रेरणा देती है, जो सीमित संसाधनों में भी कुछ बड़ा करने का सपना देखता है।

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