Success Story: छत्तीसगढ़ के छोटे से शहर भिलाई से निकलकर एक युवा ने वो कारनामा कर दिखाया है, जिसकी आज देश-दुनिया में चर्चा हो रही है। यह कहानी है राहुल सिंह की, जिन्होंने अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए सिर्फ नौकरी ही नहीं छोड़ी, बल्कि न्यूयॉर्क जैसा सुरक्षित जीवन और अपना घर भी त्याग दिया। आज, मात्र 3 साल में उनका स्टार्टअप 80 करोड़ रुपये की कमाई कर चुका है।
लेकिन यह सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं है, यह जिद, जुनून और जज्बे से भरे एक ऐसे सफर की कहानी है, जिसने न केवल पर्यावरण की चिंता की, बल्कि प्लास्टिक जैसे घातक प्रदूषण का भी विकल्प दिया। तो आइए जानते है इस बिजनेस स्टोरी के बारे में विस्तार से।
Success Story
राहुल सिंह का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन भिलाई में बीता, जहां उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की, वो भी ऐसे माहौल में जहां पंखा तक ठीक से नहीं चलता था। 12वीं के बाद उन्होंने NIT सूरत से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर XLRI जमशेदपुर से एमबीए किया।
उनकी मेहनत रंग लाई और वे अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने E-commerce दिग्गज Wayfair जैसी कंपनियों में एक सफल करियर बनाया। वेफेयर में काम करते हुए उनकी मुलाकात अरविंद गणेशन से हुई, जिनके पास ड्यूक यूनिवर्सिटी से एमबीए और सप्लाई चेन व Marketing में गहरा अनुभव था। दोनों ने मिलकर देखा कि लोग पर्यावरण की चिंता तो करते हैं, लेकिन बाजार में टिकाऊ विकल्पों की भारी कमी है।
यह भी जानें: किसी ने नहीं किया सपोर्ट, ₹1000 से शुरू करके आज बना रहे करोड़ों में
आइडिया से शुरू हुई इको-फ्रेंडली क्रांति
यहीं से जन्म हुआ EcoSoul Home का – एक ऐसा ब्रांड जो बांस, ताड़ के पत्ते, गन्ने की खोई जैसे प्राकृतिक कच्चे माल से किचन व Home Products बनाता है। शुरुआत आसान नहीं थी। राहुल और अरविंद दोनों ने अपनी लाखों की नौकरी छोड़ दी और अगस्त 2020 में 4 करोड़ के शुरुआती पैसों से बिजनेस शुरू किया। ये पैसे उनकी बचत और दोस्तों-परिवार से आए थे। राहुल ने तो न्यूयॉर्क स्थित अपना घर तक बेच डाला।
ये भी पढ़ें: फटाफट खत्म हो जाएगा दुःख, बस शुरू करे दें यह आधुनिक बिजनेस
जब फर्श ही बना बिस्तर
शुरुआती दिनों में हालात बेहद कठिन थे। कंपनी के सारे Products और Packaging Materials घर में भर चुके थे, जिस कारण राहुल का परिवार 14 महीने तक फर्श पर सोता रहा।
राहुल ने खुद इतने समय तक कोई वेतन नहीं लिया। उनकी पत्नी प्रियंका सिंह भी इस सफर में उनके साथ थीं। आज प्रियंका EcoSoul में Managing Director और Global HR व टेक लीडर हैं, और उनके पास Digital Technology में 15 वर्षों का अनुभव है।
यह भी जानें: बेहद मुश्किल सफर, फिर भी मचाया धूम, प्रतिमाह ₹6 लाख तक आय
तुमकुर से निकली सपनों की गाड़ी
EcoSoul ने कर्नाटक के तुमकुर में सिर्फ 5000 वर्ग फीट की यूनिट से शुरुआत की। वहां करीब 25 कर्मचारियों के साथ उन्होंने बांस और ताड़ के पत्तों से चॉपिंग बोर्ड, प्लेट, कटोरे, ट्रे जैसे Products बनाना शुरू किया। इनका फोकस था – Organic Food के साथ Eco-friendly बर्तनों का मेल।
कच्चा माल किसानों से सीधे खरीद कर, और बड़े पैमाने पर उत्पादन कर, EcoSoul अपने Products 25% सस्ते दाम पर बेचने में सफल रहा। यह Strategy बेहद सफल साबित हुई।
ये भी पढ़ें: इस युग का बादशाह, शुरू करने के तीन महीने में ₹2 से 5 लाख कमाई
3 साल में 11 देशों तक फैला कारोबार
आज EcoSoul के पास 42 तरह के Products हैं और 1600 से अधिक SKUs। अमेरिका में Retail Stores में 2022 में Product Launch हुए और 2023 तक कंपनी ने 11 देशों के 3800 से अधिक Stores में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी।
भारत, चीन, वियतनाम, मलेशिया और मैक्सिको जैसे देशों में इसकी Manufacturing Units हैं और कंपनी 120 से अधिक लोगों को रोजगार दे रही है।
पर्यावरण बचाने का मिशन बना कंपनी का आधार
EcoSoul सिर्फ एक कंपनी नहीं है, बल्कि एक पर्यावरणीय आंदोलन की तरह काम कर रही है। अब तक कंपनी लाखों सिंगल यूज़ प्लास्टिक Products को बदल चुकी है, 3600 पेड़ों को कटने से बचा चुकी है और गन्ने की खोई जैसे अपशिष्ट से मूल्यवान Products बना चुकी है।
राहुल मानते हैं कि भारत की पारंपरिक जीवन शैली खुद में पर्यावरण-अनुकूल थी – पत्तों की प्लेट, मिट्टी के बर्तन, कपड़े के थैले। आज EcoSoul उसी परंपरा को आधुनिक दुनिया में लौटा रहा है।
3 साल में 80 करोड़ की कमाई
जहां बड़ी कंपनियों को इस मुकाम तक पहुंचने में दशक लग जाते हैं, वहीं EcoSoul ने महज 3 साल में 80 करोड़ रुपये का टर्नओवर हासिल कर लिया। और ये सिर्फ शुरुआत है। आने वाले समय में कंपनी का लक्ष्य और देशों में विस्तार करना और लाखों टन प्लास्टिक को मिट्टी में मिलने से रोकना है।
राहुल सिंह की यह कहानी बताती है कि अगर जज्बा हो, तो एक साधारण पृष्ठभूमि वाला इंसान भी दुनिया बदल सकता है – वो भी सिर्फ बांस और पत्तों से।