Village Business Idea: क्या आपने कभी सोचा है कि खेती सिर्फ एक आमदनी का साधन नहीं, बल्कि करोड़ों की कमाई का जरिया भी बन सकती है! राजस्थान के कोटपूतली के किसान ने यह कर दिखाया है।
साधारण तरीके से शुरू की गई खेती ने आज उन्हें एक ऐसा मुकाम दिया है, जहां से उनकी सालाना इनकम ₹15 करोड़ से भी ज्यादा हो गई है। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी, जो हर किसान के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
संघर्ष और मेहनत से बदली तकदीर
राजस्थान के कोटपूतली के किसान लेखराम यादव का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। खेती-बाड़ी का काम उनके परिवार का परंपरागत पेशा था। लेकिन लेखराम का सपना कुछ बड़ा करने का था। शुरुआती दिनों में वह पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन इसमें उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था।
उनके जीवन में एक बड़ा मोड़ तब आया जब उन्होंने जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) का महत्व समझा। शुरुआत में, यह फैसला उनके लिए चुनौतीपूर्ण था। जैविक खेती की तकनीकों को सीखने और अपनाने के लिए उन्होंने YouTube और कृषि मेलों का सहारा लिया। धीरे-धीरे उन्होंने आधुनिक तरीकों को अपनी खेती में शामिल करना शुरू किया।
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यूट्यूब से मिला यह Village Business Idea
लेखराम बताते हैं कि उनके जीवन में असली बदलाव तब आया जब उन्होंने यूट्यूब पर जैविक खेती से जुड़े वीडियो देखे। उन्होंने ताराचंद बेलजी तकनीक का एक वीडियो देखा, जो ऊर्जा विज्ञान पर आधारित था। यह तकनीक पौधों को नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से ऊर्जा प्रदान करती है, जिससे उनकी ग्रोथ तेज होती है।
उन्होंने इस तकनीक को अपनाया और अपने खेतों में लागू किया। नतीजा यह हुआ कि उनकी फसलें पहले से बेहतर होने लगीं। इसने उन्हें जैविक खेती के प्रति और भी गंभीर बना दिया।
मामूली जमीन से 500 एकड़ तक का सफर
लेखराम ने शुरुआत में 120 एकड़ जमीन पर जैविक खेती (Village Business Idea) की। लेकिन उनकी मेहनत और तकनीकी नवाचारों ने जल्द ही उनके खेतों की उपज को दोगुना कर दिया।
इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे अपनी खेती का दायरा बढ़ाया। आज उनके पास 500 एकड़ से ज्यादा जमीन है, जहां वह जैविक खेती कर रहे हैं।
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अलग-अलग तरह के उगाते हैं फसल
लेखराम की सफलता का एक बड़ा कारण उनकी फसलों में विविधता है। वह सिर्फ एक या दो फसलों पर निर्भर नहीं रहते। उनकी जमीन पर गेहूं, बाजरा, चना, सरसों जैसी मुख्य फसलों के साथ-साथ मसालों की खेती भी होती है।
उन्होंने जीरा, मेथी, धनिया और हल्दी जैसे मसालों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। इसके अलावा, वह सब्जियों और फलों की खेती भी करते हैं। उनके खेतों में उगाई गई सब्जियां और फल पूरी तरह से जैविक होते हैं, जो बाजार में काफी लोकप्रिय हैं।
तकनीक का लिया सहारा
लेखराम ने सिर्फ मेहनत ही नहीं की, बल्कि आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया। उन्होंने वृक्षायुर्वेद तकनीक अपनाई, जो जैव रसायन और भस्म रसायन पर आधारित है। इस तकनीक ने उनकी फसलों की Quality और उत्पादन दोनों को बढ़ाया।
इसके अलावा, उन्होंने सिंचाई और फसल प्रबंधन में भी आधुनिक उपकरणों और तरीकों का इस्तेमाल किया। इसका नतीजा यह हुआ कि उनकी खेती के मॉडल को अब पूरे देश में सराहा जा रहा है।
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सालाना इनकम ₹15 करोड़ के पार
लेखराम यादव की मेहनत का नतीजा है कि आज उनकी सालाना इनकम ₹15 करोड़ के पार पहुंच गई है। उनके खेतों से निकली उपज न सिर्फ स्थानीय बाजार में, बल्कि देशभर में मशहूर हो गई है।
किसानों के लिए प्रेरणा
लेखराम की कहानी इस बात का उदाहरण है कि खेती में नवाचार और मेहनत के जरिए बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है। उन्होंने दिखाया कि सही दृष्टिकोण और आधुनिक तकनीकों के साथ खेती को भी एक बड़े व्यवसाय में बदला जा सकता है।
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मिल रहा सम्मान, बढ़ रही पहचान
लेखराम को उनकी मेहनत और उपलब्धियों के लिए कई सम्मान मिले हैं। हाल ही में, उन्हें Millionaire Organic Farmer of India का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। यह उनके प्रयासों और योगदान को मान्यता देने का प्रतीक है।