Woman Success Story: जब भी सावित्री सुमन का नाम आता हैं, तो जहानाबाद के लोगों की आंखों में सम्मान और दिल में प्रेरणा की लहर दौड़ जाती है। 45 साल की इस सावित्री सुमन ने अपने जीवन में जो दर्द और संघर्ष झेला, वह किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं।
लेकिन खास बात ये रही कि उन्होंने अपने हालात से हार मानने की बजाय उन्हें चैलेंज की तरह लिया। पति की मौत, व्यापार में नुकसान और अकेले जीवन की चुनौतियों के बीच सावित्री सुमन ने न सिर्फ खुद को संभाला, बल्कि एक ऐसा व्यापार खड़ा किया जो आज मिसाल बन चुका है तो आइए जानते है सावित्री सुमन की Success Story के बारे में विस्तार से।
सब कुछ चल रहा था ठीक, फिर टूटा दुखों का पहाड़
सावित्री सुमन की शुरुआती जिंदगी बहुत ही अच्छी तरह से चल रही थी। पति के साथ मिलकर एक बिस्किट का छोटा-सा व्यापार चलाती थीं। पति बाहर से माल लाते और वितरण करते, वहीं सावित्री घर से सारा काम संभालती थीं। परिवार चल रहा था, बेटा पढ़ाई कर रहा था और जिंदगी पटरी पर थी।
लेकिन फिर एक ऐसा मोड़ आया जिसने जिंदगी की रफ्तार थाम दी। व्यापार में घाटा होने लगा और कुछ ही महीनों में वह पूरी तरह बंद हो गया। सावित्री सुमन इससे उबरने की कोशिश ही कर रही थीं कि किस्मत ने एक और बड़ा झटका दे दिया — पति की मौत हो गई।
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अकेलेपन की चुप्पी, लेकिन दिल में बूंलद होसलों की गूंज
पति की मृत्यु के बाद सावित्री बिल्कुल अकेली रह गईं। कंधे पर बच्चे की जिम्मेदारी और सामने उजड़ा हुआ व्यापार और चारों तरफ अंधकार। लेकिन इस अंधेरे से उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि डटकर सामना किया।
सावित्री को अपने इलाके की पसंद का अंदाजा था। उन्हें पता था कि सत्तू और बेसन की मांग हमेशा बनी रहती है। इसी सोच के साथ उन्होंने अपना छोटा-सा बिजनेस शुरू किया। शुरुआत में घर के एक कोने से Packing शुरू की और खुद ही साइकिल पर सैंपल लेकर दुकानों पर पहुंचीं। दुकानदारों ने पहले खरीदने से मना किया, लेकिन जब उन्होंने स्वाद को चखा तो उन्होंने तुरंत ऑर्डर दे दिए।
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संघर्ष के दिन और हर सुबह एक नई उम्मीद
सावित्री बताती हैं कि शुरुआत के दिनों में खुद ही Packing करती थीं, खुद ही Marketing करतीं, और शाम को बेटे की पढ़ाई देखती थीं। जब कभी थक जातीं, तो मन में बस एक बात आती—“ कि अगर आज में हिम्मत हार गई, तो कल बेटा क्या सीखेगा” यही सोच उन्हें हर सुबह एक नई ऊर्जा देती।
धीरे-धीरे उनका सत्तू और बेसन का बिजनेस चल पडा़। उन्होंने साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा और Quality के साथ कोई समझौता नहीं किया। आज गाँव में उनकी एक पहचान बना चुकी हैं। उनका माल अब आस-पास के शहरों में भी जाता है।
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बेटा बना इंजीनियर, मां बनीं प्रेरणा
सावित्री सुमन की कड़ी मेहनत का असर केवल बिजनेस में ही नहीं दिखा, बल्कि उनके बेटे की पढ़ाई में भी साफ नजर आया। आज उनका बेटा एक बड़ी Multinational Company Amazon में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है।
कवयित्री बनने का सफर और अंतरराष्ट्रीय पहचान
सावित्री सुमन केवल एक बिजनेस वुमैन ही नहीं हैं, बल्कि वे एक सफल गायिका भी हैं। श्रृंगार रस में उनकी विशेष रुचि है। गीत, ग़ज़ल और कविताएं लिखने का शौक उनके जीवन की दूसरी ताकत है।
उन्होंने हरिद्वार, चेन्नई, लखनऊ जैसे कई शहरों में काव्यपाठ किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने सिंगापुर जाकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कविता सुनाई और अपने जिले, गांव और अपने परिवार का नाम रोशन किया।
हार नहीं, उम्मीद को चुनो
सावित्री सुमन की Success Story बताती है कि कोई भी हालात हमेशा के लिए नहीं होते। अगर नीयत साफ हो, इरादे मजबूत हों और मेहनत करने का जज्बा हो, तो एक अकेली महिला भी पूरी दुनिया बदल सकती है। सावित्री बहन ने सत्तू और बेसन के जरिए जो मिसाल कायम की है, वह आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाने के लिए काफी है।