Small Business Idea: कुछ महिलाओं का समूह, घर बैठे ये काम करके 3 लाख महीना कमाई

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Small Business Idea: गरियाबंद की गलियों से उठी एक सोंधी सी खुशबू आज देश के कोनों तक अपनी मिठास फैला चुकी है। यह कहानी सिर्फ स्वाद की नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मनिर्भरता और सामाजिक बदलाव की है। कुछ महिलाओं ने घर के आंगन से एक ऐसा काम शुरू किया, जो आज उन्हें हर महीने तीन लाख रुपये तक की कमाई दिला रहा है। 

इस काम की शुरुआत एक पुरानी पारिवारिक रेसिपी से हुई थी, जिसे कभी केवल त्योहारों में बनाया जाता था। लेकिन मेहनत और सोच ने इसे एक ब्रांड, एक पहचान और एक मिशन में बदल दिया।

इस छोटे से काम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें न तो भारी निवेश की जरूरत है, न बड़ी फैक्ट्री की। जरूरी है तो सिर्फ परंपरा की समझ, स्वाद की परख और मेहनत करने का जज्बा। तो आइए जानते है इस Small Business Ideas के बारे में विस्तार से।

Small Business Idea

गरियाबंद जिले की एक साधारण गृहिणी एमिन साहू ने इस सफर की शुरुआत की। कभी मां की रसोई में बैठकर सीखी गई यह मिठाई, उन्हें विरासत में तो मिली, लेकिन इससे कारोबार बनाने का सपना उनका अपना था। 

आरसा कोई साधारण मिठाई नहीं है, यह छत्तीसगढ़ की परंपरा में रचा-बसा एक स्वाद है, जो खास मौकों, तीज-त्योहारों और मेलों में बनता था। एमिन ने इसी पारंपरिक स्वाद को आधुनिक बाजार में पेश करने की ठानी।

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बनाने की विधि

आरसा को बनाने की प्रक्रिया जितनी साधारण दिखती है, उतनी ही मेहनत वाली है। चावल को पहले रात भर पानी में भिगोया जाता है। सुबह उसे पीसकर एक खास गाढ़ेपन में तैयार किया जाता है। फिर उसमें गुड़ का मोटा रस मिलाया जाता है, जो स्वाद की जान होता है। 

लौंग और इलायची की खुशबू इसे एक अलग ही पारंपरिक अंदाज देती है। मिश्रण को एक खास सांचे में डालकर धीमी आंच पर तला जाता है। इसमें समय, तापमान और धैर्य का संतुलन बहुत जरूरी होता है। एक छोटी सी चूक मिठाई के स्वाद को बिगाड़ सकती है।

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संघर्ष को बनाया अपना सच्चा दोस्त

शुरुआत में एमिन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। कई बार मिठाई टूट जाती, स्वाद बिगड़ जाता, और सामग्री की लागत भी डूब जाती। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

लगातार अभ्यास से उन्होंने अपने हाथ में वह परिपक्वता लाई, जिससे आरसा का हर टुकड़ा परफेक्ट बनने लगा। फिर उन्होंने अकेले नहीं, बल्कि अपने जैसे दूसरी महिलाओं को भी जोड़ा। आज उनके समूह में 12 महिलाएं हैं, जो रोजाना मिलकर आरसा तैयार करती हैं।

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महिला स्व-सहायता समूह की ताकत

यह महिला स्व-सहायता समूह अब सिर्फ गरियाबंद तक सीमित नहीं है। ये महिलाएं राज्य के प्रमुख आयोजनों जैसे राजिम कुंभ, महिला संगत मेला, शिवरीनारायण मेला और राज्योत्सव जैसे बड़े आयोजनों में स्टॉल लगाती हैं।

इन मेलों में आरसा की खुशबू ही ग्राहकों को खींच लाती है। लंबी-लंबी कतारें लगती हैं, लोग मिठाई की एक झलक और स्वाद पाने को बेताब रहते हैं।

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जब कमाई बनी मिसाल

एक बार दिल्ली के एक मेले में एमिन और उनके समूह ने ₹1.82 लाख, रायगढ़ में ₹1.90 लाख, और राजिम कुंभ में तो ₹3 लाख तक की बिक्री की।

यह केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि इस बात का प्रमाण हैं कि एक परंपरागत स्वाद कैसे आर्थिक बदलाव ला सकता है। यह बिजनेस मॉडल आज अन्य जिलों की महिलाओं को भी प्रेरित कर रहा है।

घर से ही आत्मनिर्भरता का रास्ता

एमिन का यह मॉडल खासतौर पर महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ कुछ करने की चाह रखती हैं। बिना किसी बड़ी मशीनरी, फैक्ट्री या निवेश के, ये महिलाएं अपने घर के आंगन से कारोबार चला रही हैं। इसके लिए केवल समय, मेहनत और धैर्य की जरूरत है।

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