Business Story: हर साल ₹52 लाख का टर्नओवर, मजदुर महिला ने खड़ा किया बिजनेस एम्पायर

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Business Story: देश की मिट्टी में कुछ ऐसा जादू है जो अगर मेहनत की खाद और लगन की सिंचाई मिले, तो सोना उगाना कोई नामुमकिन काम नहीं। झारखंड की एक साधारण महिला ने इसी जादू से अपनी किस्मत को एक नई दिशा दी।

कभी रोजाना 70 रुपये की मजदूरी करने वाली इस महिला ने अपनी सूझबूझ, मेहनत और तकनीकी समझ से खेती को ही एक मुनाफे वाला बिजनेस बना डाला। आज उनका सालाना टर्नओवर ₹52 लाख तक पहुंच चुका है और वह अपने क्षेत्र की मिसाल बन चुकी हैं।

70 रुपये की मजदूरी से शुरू हुआ संघर्ष

कभी दिन में ₹70 की मजदूरी करने वाली इस महिला का नाम है संगीता देवी। रांची जिले के ओरमांझी ब्लॉक के एक छोटे से गांव की रहने वाली संगीता का जीवन पहले बहुत ही कठिन था। 

पति-पत्नी दोनों मिलकर मजदूरी करते थे, लेकिन इतनी आमदनी से न तो घर चल पाता था और न ही बच्चों की शिक्षा का सपना पूरा हो पाता था। ऐसे में संगीता ने ठान लिया कि अब कुछ बड़ा करना है, जिससे जिंदगी की दिशा बदले।

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आधे एकड़ से रखी शुरुआत की नींव

संगीता ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने पति के सहयोग से गांव में आधा एकड़ जमीन किराए पर ली और खेती की शुरुआत की। 

हालांकि शुरुआत आसान नहीं थी — सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं, मौसम की मार और तकनीकी जानकारी की कमी। लेकिन संगीता ने इन सभी चुनौतियों से लड़ने का फैसला किया।

उन्होंने खेती की आधुनिक तकनीकें जैसे Drip Irrigation, Polyhouse खेती और Controlled Climate Farming के बारे में सीखा। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकार और कृषि विभाग की सहायता से कुछ Training भी लीं। इस नई सोच और सीखने की ललक ने उनके कारोबार की नींव रखी।

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साल में केवल 3 फसल, फायदा भी तीन गुना

आज संगीता देवी की सबसे बड़ी कामयाबी यही है कि वह एक ही साल में तीन फसलें निकालती हैं — गर्मियों में तरबूज, अगस्त के बाद मटर और सर्दियों में टमाटर, गोभी, और अन्य हरी सब्जियां। इस चक्र ने उनके खेत को कभी खाली नहीं रहने दिया और आमदनी लगातार बनी रही।

उनका कहना है कि Drip Irrigation की मदद से पानी की खपत भी कम होती है और फसल की Quality भी बनी रहती है। पॉलीहाउस तकनीक ने उन्हें मौसम के प्रकोप से भी बचाया। यही कारण है कि आज उनकी खेती पर कम खर्च आता है और मुनाफा काफी ज्यादा होता है।

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लागत हुई कम, मुनाफा हुआ ज्यादा

जहां कभी दिन के 70 रुपये भी बड़ी बात लगती थी, वहीं आज संगीता देवी का सालाना टर्नओवर ₹50 से ₹52 लाख तक पहुंच चुका है।

खेती में उनकी लागत करीब ₹15-18 लाख के आसपास होती है, जिसमें बीज, खाद, मजदूरी, ट्रांसपोर्ट और रखरखाव का खर्च शामिल है। बाकी की रकम मुनाफे के तौर पर बचती है।

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70 एकड़ तक पहुंची खेती, बनी रोल मॉडल

आधे एकड़ से शुरू की गई यह यात्रा आज 70 एकड़ तक पहुंच चुकी है। संगीता देवी ने किराए पर जमीन लेकर खेती का विस्तार किया और अब उनका माल न केवल स्थानीय मंडियों में बल्कि बोकारो, रांची और यहां तक कि रिलायंस फ्रेश जैसी बड़ी रिटेल चेन में भी बिकता है। आज वह दर्जनों मजदूरों को रोजगार देती हैं, जो कभी उनकी ही तरह गरीबी की जंग लड़ रहे थे।

खेती को बनाया प्रॉफिट वाला बिजनेस

संगीता की सोच ही उन्हें दूसरों से अलग बनाती है। वह कहती हैं कि अगर खेती को वैज्ञानिक तरीके से किया जाए तो यह किसी भी Corporate बिजनेस से कम नहीं है। 

उनके खेत में अब हर फसल की बकायदा प्लानिंग होती है, लागत का हिसाब रखा जाता है और बिक्री के लिए पहले से बाजार तय होता है।

महिला किसानों के लिए प्रेरणा बनीं संगीता

संगीता की Business Story अब बाकी गांवों में चर्चा का विषय बन गई है। उन्होंने अपने साथ और भी महिलाओं को जोड़ा है, जो उनके फार्म में काम करती हैं और खेती की नई तकनीक सीख रही हैं। 

वह अब सिर्फ एक किसान नहीं बल्कि एक Inspirational Leader बन चुकी हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही हैं।

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