Successful Business Idea: जोधपुर की गलियों से शुरू हुआ एक छोटा सा सपना, आज करोड़ों लोगों की सेहत का भरोसा बन गया है। यह कहानी है एक ऐसे इंसान की, जिसने पारंपरिक सोच को चुनौती दी और केवल ₹5000 के मामूली निवेश से खड़ा किया ₹40 करोड़ का आयुर्वेदिक साम्राज्य।
काम ऐसा, जिसे समाज आमतौर पर “अनपढ़ों का काम” कहता है, लेकिन इसी काम ने बना दी एक सफल ब्रांड की नींव। तो आइए जानते है इस Successful Business Ideas के बारे में विस्तार से।
पारंपरिक व्यवसाय छोड़, चुनी अपनी राह
श्रवण डागा का जन्म जोधपुर के एक ऐसे परिवार में हुआ, जो लोहे और स्टील के पारंपरिक व्यापार से जुड़ा था। घरवालों की उम्मीद थी कि बेटा भी वही काम संभालेगा।
लेकिन श्रवण कुछ अलग करना चाहते थे। वे न तो पढ़ाई में अव्वल थे और न ही उन्हें बिजनेस की कोई बड़ी डिग्री मिली थी। यही वजह थी कि कई लोगों ने उनके फैसलों को गंभीरता से नहीं लिया।
परिणामस्वरूप, 2007 में जब उन्होंने अपने ही दम पर एक आयुर्वेदिक जूस ब्रांड शुरू करने का फैसला लिया, तो इसे “अनपढ़ों का काम” करार दिया गया। लेकिन उन्होंने इन तानों को अपनी ताकत बना लिया।
यह भी जानें: बचे हुए 5000 रुपये, घर में ही बिजनेस सेटअप से सालाना ₹2 करोड़ कमाई
Successful Business Idea
शुरुआत हुई सिर्फ ₹5000 से। न कोई बड़ी मशीनरी, न कोई टीम। श्रवण ने 600 वर्ग फीट के एक छोटे से कमरे को प्रयोगशाला बना लिया, जो किसी आम रसोई जैसा ही दिखता था।
यहां उन्होंने एलोवेरा जूस की 50 बोतलें खुद तैयार कीं। फिर आंवला जूस भी बनाया। ये शुरुआत थी उस ब्रांड की जो आज 40 करोड़ की कंपनी में तब्दील हो चुकी है।
यह भी पढ़ें: प्रतिमाह ₹2.5 लाख की आमदनी, शुरू करें ₹50000 की बजट वाला यह बिजनेस
शुरुआती दौर में मुश्किलें ही मुश्किलें
आयुर्वेद पर लोगों का विश्वास तो था, लेकिन एक नए ब्रांड पर भरोसा दिलाना आसान नहीं था। श्रवण ने खुद दुकानों पर जाकर अपना Product बेचना शुरू किया। कई बार उन्हें मना कर दिया गया, तो कई बार मुफ्त सैंपल देकर ग्राहकों को रिझाना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
वो लोगों से मिलते, फीडबैक लेते और फिर उसी आधार पर उत्पादों को बेहतर करते। धीरे-धीरे एलोवेरा जूस की मांग बढ़ी और श्रवण का आत्मविश्वास भी।
यह भी जानें: केवल ₹50000 बचाओ, बिना फैमिली सपोर्ट कमाओ ₹1 लाख महीना
‘थर्ड पार्टी मैन्युफैक्चरिंग’ बना बड़ा हथियार
जब अपने ब्रांड की बिक्री का अनुभव आया, तो श्रवण ने दो और कंपनियों के लिए Third Party Manufacturing शुरू की। उन्होंने उन्हीं के नाम से एलोवेरा जूस बनाना शुरू किया।
यह निर्णय बहुत सफल साबित हुआ क्योंकि इससे कंपनी को नियमित ऑर्डर मिलने लगे। इसी दौरान श्रवण ने और उत्पाद जैसे हर्बल टैबलेट, पाउडर, सिरप, स्किन केयर वगैरह भी लॉन्च कर दिए।
यह भी पढ़ें: ग्रेजुएट लड़के और लड़कियां शुरू करें, और 1 साल में जमाएं बिजनेस
कोरोना काल बना टर्निंग पॉइंट
2020 में जब कोरोना महामारी फैली, तब लोगों का ध्यान एक बार फिर आयुर्वेद की ओर गया। लोग एलोवेरा, गिलोय, आंवला जैसे Immunity Booster Products को तलाशने लगे।
यही वह समय था जब कृष्णा हर्बल एंड आयुर्वेद को तेजी से लोकप्रियता मिली। फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना पड़ा, कच्चे माल की खरीद चार गुना तक कर दी गई और कर्मचारियों की संख्या में भी इजाफा किया गया।
आधुनिक सोच के साथ आयुर्वेद को नया रूप
श्रवण ने पारंपरिक आयुर्वेद को आधुनिक रूप में पेश करने का फैसला किया। उन्होंने Product की Packaging को Global Brands जैसी बनाया।
हर प्रोडक्ट की जानकारी को आसान और विश्वसनीय भाषा में पेश किया गया, ताकि आम ग्राहक भी इसे समझ सके। यह प्रयोग सफल रहा और युवा पीढ़ी तक भी ब्रांड की पहुंच बन गई।
आज का साम्राज्य
कृष्णा हर्बल एंड आयुर्वेद आज 170 से ज्यादा आयुर्वेदिक उत्पाद बनाती है। कंपनी के पास 15,000 वर्ग मीटर का अत्याधुनिक उत्पादन प्लांट है और पूरे भारत में Products की बिक्री होती है। हाल ही में कंपनी ने इंटरनेशनल मार्केट में भी कदम रखा है। सालाना टर्नओवर ₹40 करोड़ के पार पहुंच चुका है।