Woman Success Story: कहते हैं कि जब हालात कठिन हों और रास्ते बंद लगें, तब भीतर की ताकत और जुनून ही असली रास्ता दिखाते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार के मुजफ्फरपुर की इप्शा पाठक की, जिनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन हर मुश्किल को उन्होंने मौके में बदला।
एक समय था जब नौकरी छिन गई थी और जिंदगी अंधकार में डूबती नजर आ रही थी, लेकिन आज वही महिला न केवल खुद लाखों की कमाई कर रही हैं, बल्कि कई महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं।
शादी, संघर्ष और अकेलेपन की शुरुआत
इप्शा पाठक की पढ़ाई मुजफ्फरपुर से ही हुई। 1997 में उन्होंने मैट्रिक और 1999 में 12वीं की परीक्षा पास की। इसके बाद वह ग्रेजुएशन के लिए सिक्किम चली गईं और पढ़ाई के साथ ही एक निजी बैंक में काम करना शुरू कर दिया। वहीं से उन्हें पुणे में Management की पढ़ाई का अवसर मिला और उन्होंने HR और Marketing में पीजी किया।
इसी दौरान परिवार वालों के कहने पर साल 2008 में उनकी शादी हो गई। शादी के बाद वह मुजफ्फरपुर लौट आईं। हालांकि, कुछ पारिवारिक कारणों से पति से अलग होना पड़ा। इस कठिन दौर में वह अपनी छोटी बच्ची के साथ अकेली रह गईं।
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दोबारा खड़ा होने की कोशिश
पति से अलगाव के बाद भी इप्शा ने हार नहीं मानी। उन्होंने साल 2010 में कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमबीए किया और फिर Corporate Sector में जॉब की। जिंदगी कुछ हद तक पटरी पर आ ही रही थी कि साल 2019 के अंत में कोरोना महामारी आई और उनकी नौकरी छिन गई।
एक बार फिर जिंदगी अनिश्चितता में थी। कुछ महीने तो इप्शा गुमसुम रहीं, लेकिन फिर उन्हें बचपन का वो शौक याद आया, जो अब उनका हथियार बन गया।
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जब शौक बन गया कारोबार
इप्शा को बचपन से Mithila Painting में रुचि थी। उन्होंने इस कला को फिर से अपनाने का फैसला किया और अपने घर के 10×10 फीट के कमरे से “मिथिला पेंटिंग सेव आरव बाय इप्शा” नाम से Startup की शुरुआत की।
शुरुआत में उन्होंने खुद से मास्क बनाने शुरू किए, जिन पर उन्होंने हाथ से Mithila Painting की। मोहल्ले में लोगों ने देखा तो तारीफ करने लगे और ऑर्डर भी मिलने लगे।
धीरे-धीरे उन्होंने अपने Products की रेंज बढ़ाई। अब वह हैंड पेंटेड बैग, बेडशीट, पर्दे, कड़े, कैलेंडर और कई अन्य सामान बना रही हैं। उनके ब्रांड “आवरण” के Product बिहार के बाहर भी डिमांड में हैं।
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छठ पूजा बना टर्निंग प्वाइंट
इप्शा के लिए असली ब्रेक साल 2021 के छठ पर्व में आया। उन्होंने डगरा, दऊरा और बांस के सूप पर भगवान सूर्य की मिथिला पेंटिंग तैयार की। इन Products की ऑनलाइन बिक्री ने धूम मचा दी।
लोगों ने इस यूनिक थीम को हाथों-हाथ लिया और इसके बाद इप्शा के पास Orders की बाढ़ सी आ गई। यही वह पल था जब उन्होंने खुद को एक Entrepreneur के रूप में स्वीकार किया।
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अब लाखों की कमाई और महिलाओं को रोजगार
आज इप्शा का सालाना टर्नओवर ₹20 लाख के करीब पहुंच गया है। त्योहारी सीजन में वह हर महीने ₹40-50 हजार तक कमा लेती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वह अब 20 महिलाओं को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रही हैं और 12 से अधिक लड़कियों को मुफ्त में मिथिला पेंटिंग की ट्रेनिंग भी देती हैं।
विदेशों तक फैला कारोबार
इप्शा के Products अब सिर्फ बिहार या भारत तक ही सीमित नहीं हैं। अमेरिका, इंग्लैंड और दुबई से भी उन्हें ऑर्डर मिल रहे हैं। उन्होंने अपनी ऑनलाइन मौजूदगी को मजबूत किया है और Offline Marketing पर भी काम किया है। उनकी योजना अब आने वाले वर्षों में अपनी यूनिट को और विस्तारित करने की है।
समाज के लिए उदाहरण
इप्शा पाठक की कहानी सिर्फ एक महिला की सफलता नहीं है, बल्कि यह उस सोच की मिसाल है जिसमें हर महिला को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा मिलती है। इप्शा बताती हैं, “अगर आपके पास हुनर है और उसे जुनून से आगे बढ़ाते हैं, तो हालात कितने भी खराब हों, आप जीत सकते हैं।”